पीएम मोदी अमेरिका पहुंचे और हुआ भव्य स्वागत

Update: 2021-09-23 05:07 GMT

नयी दिल्ली,: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि उनका अमेरिका दौरा भारत-अमेरिकी वैश्विक व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूती देने, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने का एक मौका होगा।

प्रधानमंत्री ने प्रस्थान पूर्व एक बयान में कहा कि वह अपनी यात्रा का समापन न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में वैश्विक चुनौतियों, खासकर कोविड-19 महामारी, आतंकवाद से निपटने की आवश्यकता, जलवायु परिवर्तन और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने संबोधन से करेंगे।

इस यात्रा में प्रधानमंत्री कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित विश्व के अन्य नेताओं के साथ वार्ता करेंगे और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित भी करेंगे।प्रधानमंत्री कल सुबह अमेरिका के लिए रवाना हो गए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री का यह दौरा हो रहा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक ट्वीट में कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के लिए विमान पर सवार होते हुए। वहां वह कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित विश्व के अन्य नेताओं के साथ वार्ता करेंगे और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित भी करेंगे।''

पीएमओ ने इस ट्वीट के साथ विमान पर सवार होने से पहले अभिवादन करते प्रधानमंत्री की एक तस्वीर भी साझा की।

इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका अमेरिका दौरा भारत-अमेरिका वैश्विक व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूती देने, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने का एक मौका होगा।

प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति बाइडन के साथ भारत-अमेरिकी वैश्विक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करेंगे और आपसी हित से जुड़े वैश्विक व क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

प्रधानमंत्री अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से भी मुलाकात करेंगे और उनके साथ दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों, खासकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं तलाशेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह, इस यात्रा के दौरान क्वाड समूह के नेताओं के शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के साथ हिस्सा लेंगे।

उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन, डिजिटल माध्यम से मार्च में आयोजित की गई क्वाड देशों के नेताओं की पहली शिखर बैठक में हुए फैसलों की समीक्षा करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए आपसी साझा दृष्टिकोण पर आधारित भविष्य के कार्यक्रमों और प्राथमिकताओं की पहचान का एक मौका प्रदान करेगा।

बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी अफगानिस्तान के घटनाक्रम के अलावा कट्टरपंथ, चरमपंथ व सीमा पार से होने वाले आतंकवाद की रोकथाम के तरीकों तथा भारत-अमेरिका वैश्विक साझेदारी का और अधिक विस्तार करने पर मुख्य रूप से चर्चा करेंगे।

विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को यह जानकारी दी थी।

उन्होंने बताया था कि बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों नेता पहली बार एक दूसरे के आमने-सामने बैठ कर वार्ता करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मॉरिसन और सुगा के साथ इन देशों से ''मजबूत द्विपक्षीय संबंधों'' की समीक्षा करेंगे और महत्वपूर्ण वैश्विक व क्षेत्रीय मुद्दों पर ''उपयोगी विचारों'' का आदान-प्रदान करेंगे।

अपनी यात्रा के आखिरी पड़ाव पर प्रधानमंत्री वाशिंगटन के सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद 24 सितंबर की शाम न्यूयॉर्क पहुंचेंगे जहां वह अगले दिन यूएनजीए के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैं अपनी यात्रा का समापन संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने एक भाषण के साथ करूंगा, जिसमें वैश्विक चुनौतियां खासकर कोविड-19 महामारी, आतंकवाद से निपटने की आवश्यकता, जलवायु परिवर्तन और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।''

उन्होंने कहा, ''मेरी अमेरिका यात्रा अमेरिका के साथ व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने तथा हमारे रणनीतिक भागीदारों जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी और महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर हमारे सहयोग को आगे ले जाएगी।''

प्रधानमंत्री का अमेरिका के प्रमुख कंपनियों के शीर्ष पदाधिकारियों से भी मिलने का कार्यक्रम है।

उल्लेखनीय है कि क्वाड समूह में अमेरिका, भारत, आस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। अमेरिका क्वाड समूह की बैठक कर रहा है जिसमें समूह के नेता हिस्सा लेंगे। इसके जरिये अमेरिका हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और समूह के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने का मजबूत संकेत देना चाहता है।

मार्च में अमेरिकी राष्ट्रपति ने क्वाड देशों के नेताओं की पहली शिखर बैठक डिजिटल माध्यम से आयोजित की थी और लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर मुक्त एवं समावेशी हिन्द प्रशांत क्षेत्र को लेकर प्रतिबद्धता प्रकट की थी। समझा जाता है कि इसका परोक्ष संदेश चीन को लेकर था।

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