भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल विचार
जीवनभर बिना ध्यान के साधना करने की अपेक्षा जीवन में एक दिन समझदारी से जीना कहीं अच्छा है।
आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिअए। जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।
बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके।
तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं- सूर्य, चंद्रमा और सत्य
दूसरों से लड़ाई करने से अच्छा है तुम खुद पर जीत हासिल करो। इससे तुम्हें कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी और हमेशा जीत तुम्हारी ही रहेगी। अगर तुमने खुद पर जीत हासिल कर ली तो तुम्हें कोई पराजित नहीं कर सकता।
जो बुरा समय बीत गया हो उसको याद नहीं करना चाहिए। भविष्य के लिए सपने नहीं देखना चाहिए, बल्कि वर्तमान में ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। हमेशा क्रोध में रहना, गर्म कोयले को किसी दूसरे पर फेंकने के लिए पकड़े रहने के समान होता है। इसमें हमारा हाथ भी जलता है।
एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक रौशन किए जा सकते है, फिर भी उस दीपक की रौशनी कम नहीं होती हैं। उसी तरह खुशियाँ भी बाँटने से बढ़ती है, कम नहीं होती।
शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है, नहीं तो हम अपने दिमाग को स्वस्थ और मजबूत नहीं रख पाएंगे
इस पूरी दुनिया में इतना अन्धकार नहीं है कि वो एक छोटे से दीपक के प्रकाश को मिटा सके।
नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती। नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। यह एक प्राकृतिक सत्य है।
अगर आप वाकई में अपने आप से प्यार करते है, तो आप कभी भी दूसरों को दुःख नहीं पहुंचा सकते।
खुशियों का कोई अलग रास्ता नहीं, खुश रहना ही रास्ता है।