अपने जीवन के अंतिम काल में प्रेमचंद आगरा आए थे। कम ही आगरा वालों को यह बात मालूम है। सेंट जॉन्स कॉलेज के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ० हरिहर नाथ टंडन ने उन्हें कॉलेज के एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। वह 3 दिन आगरा में रुके। 'कॉलेज' के समारोह में भाषण देते कॉलेज' की तब की पत्रिका में उनकी तसवीर छपी थी। मोतीकटरा मोहल्ले में टंडन जी किराये के एक मकान में रहते थे। यह बेनी प्रसाद गार्ड का मकान था। वह टंडन जी के अतिथि थे। टंडन जी बीएचयू में पढ़े थे इस नाते प्रेमचंद उन्हें अच्छे से जानते थे। यह बात संस्कृतिकर्मी अनिल शुक्ल जी को इतिहासकार डॉ० आरसी शर्मा ने बताई। कथा नायक की आगरा यात्रा का ज़िक्र उनके पुत्र अमृत राय ने उनकी जीवनी 'कलम का सिपाही' में भी किया है।
प्रेमचंद 'प्रगतिशील लेखक संघ' के अध्यक्ष चुने गए थे, इस नाते लेखकों को गोलबंद के इरादे से वह पूरे देश में भ्रमण कर रहे थे, यद्यपि उनका स्वास्थ्य बहुत ख़राब था और यही भाग दौड़ आख़िरकार उन पर भारी पडी।
हम आगरा वासियों का दुर्भाग्य है और हम यह भी नहीं जानते हैं कि डॉ० हरिहर नाथ टंडन ने आगरा और आसपास के क्षेत्रों में उस दौर में हिंदी पढ़ने के लिए किस तरह छात्रों को प्रेरित किया जो उर्दू और अंग्रेज़ी का दौर माना जाता था। ईसाई स्वामित्व वाला 'सेंट जॉन्स कॉलेज' तत्कालीन 'आगरा यूनिवर्सिटी' का ऐसा पहला कॉलेज था जहाँ स्नातकोत्तर कक्षाओं में हिंदी पढाई जाती थी, यह बात भी हम में से कम आगरा वाले ही जानते होंगे।
आइये 8 अक्टूबर को अपराह्न 4 बजे प्रेमचंद का आगरा में स्मरण करें। ग्रांड होटल में होने वाले भव्य समारोह का हिस्सा बने। जिन तक औपचारिक न्यौता नहीं पहुंचा हो, वे इस अनौपचारिक न्योते को ही न्यौता माने।