Punjab Election Results: सीएम बनने से पहले सांसद पद से इस्तीफा देंगे भगवंत मान

Update: 2022-03-14 05:22 GMT

चंडीगढ़. भगवंत मान (Bhagwant Mann) 16 मार्च को मुख्यमंत्री (Chief minister) बनने से पहले सांसद के पद से आज यानी सोमवार को अपना इस्तीफा सौंप देंगे. उन्होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी है. ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि वह आज संगरूर से सांसद (MP from Sangrur) पद से इस्तीफा दे रहे हैं.

 पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए मनोनीत भगवंत मान ने पंजाब की जनता से अपील करते हुए कहा की मैं लोगों से 16 मार्च (शपथ ग्रहण समारोह के लिए) खटकर कलां पहुंचने का अनुरोध करता हूं। मैं अपने भाइयों से अनुरोध करता हूं कि उस दिन पीली पगड़ी पहनें और बहनें पीली शॉल/स्टोल पहनें। हम उस दिन खतर कलां को 'बसंती रंग' में रंगेंगे.

उन्होंने कहा कि संगरूर के लोगों ने मुझे प्यार दिया और इसके लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं. मान ने कहा कि मैं संगरूर के मतदाताओं को विश्वास दिलाता हूं कि कुछ दिनों में उनकी आवाज फिर से संसद में सुनी जाएगी. मान अपना इस्तीफा आज लोकसभा स्पीकर को सौंपेंगे. लोकसभा में भगवंत मान AAP के इकलौते सांसद हैं. इसके अलावा ने पार्टी मंत्रिमंडल पर विचार विमर्श किया है, माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फिलहाल छह से सात मंत्री हो सकते हैं.

शपथ ग्रहण समारोह के एक दिन बाद 17 मार्च को विधानसभा का पहला सत्र बुलाए जाने की संभावना है. दिलचस्प बात यह है कि केवल मान ही 16 मार्च को खटकर कलां में शपथ लेंगे. कैबिनेट के अन्य सदस्यों को बाद में चंडीगढ़ में शपथ दिलाई जाएगी. पार्टी के सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेता पहले से ही मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना पर विचार कर रहे हैं. शुरुआत में छह से सात मंत्रियों को ही शामिल किया जाना है. पंजाब कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 18 सदस्य हो सकते हैं.

जिन लोगों के शामिल होने की संभावना है उनमें हरपाल चीमा, अमन अरोड़ा, हरजोत बैंस, बलजिंदर कौर, नीना मित्तल और बुद्ध राम शामिल हैं. इस बीच पंजाब सरकार बुधवार को नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह पर 2.42 करोड़ रुपये खर्च करेगी. जहां भगत सिंह के स्मारक के पास होने वाले समारोह के लिए 2 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, वहीं 16 मार्च को होने वाले समारोह के लिए राज्य भर से लोगों को लाने-ले जाने के लिए 42 लाख रुपये (प्रति जिले 2 लाख रुपये) निर्धारित किए गए हैं.

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