बहुत दिन से मुसद्दी भइया से बात नही की थी।सोच रहा था कि दशहरे के बहाने फोन कर लूंगा।डांट से बच जाऊंगा।धरमधुरी ने एकाध बार पूछा भी तो उन्हें भी यही समझा दिया कि त्यौहार पर बात कर लेंगे।
आज नाश्ता करके उखरा की बात कर ही रहे थे कि अचानक फोन घनघनाने लगा!देखा तो मुसद्दी भइया याद कर रहे हैं।लपक कर फोन उठाया और पालागन दाग दिया।
उधर से भइया ने बड़े ही प्यार से जूता पुजने और झंडा बुलंद रहने का आशीर्वाद दिया!फिर बोले-लगता है कि आजकल कुछ ज्यादा मसरूफ़ हो।कोई बात नही समय निकाल कर बात कर लिया करो।तुम्हारी भौजी याद कर रही थीं!लो जरा बात करो!
भइया ने लाड़ दुलारी भौजी को फ़ोन पकड़ा दिया!पालागन से पहले ही भौजी ने खुश रहने का आशीर्वाद दे दिया।मैं कुछ कह पाता उससे पहले ही उन्होंने कहा - लल्ला जे हकले मिसुर कइयो दिनन ते हमाए प्रान खाएं हैं!रोज दुहटिया मैं अपनी पत्तरा खोलि के बैठि जात हैं।जब देखौ तब रडुअन और भड़ुअन को किस्सा सुनाउंन लगत हैं।हमाई तौ कछु समुझि मैं आउत नाहिं है!
तुम्हारे भइया सै कई तौ वे कहन लगे जा घर घुसू की बात का हम का सुने!चौपारि पै आउत नाहीं है।हियां मेहरियन मैं घुसो रहतु है।जाकी बात तो तुम अपने लल्ला से करबाय दियो।सो आजु हमने उन्हई पकड़ लओ है।
तुम नेक ऐसो करउ कि हलुके से बात कल्लेउ!देखउ तौ जे कहा कहो चाहत हैं!इतना कह कर भौजी ने फोन हलुके मिसुर को पकड़ा दिया।
गांवदारी में हलुके हमारे बड़े भइया लगत हैं।सो हमने पहले उन्हें पालागन किया फिर पूछा कि भइया क्या बात है! हलुके भइया ने हंसते हुए कहा-बात जा है लल्ला हम एक बतौनियाँ(प्रश्नवाचक कहावत) पूछत हैं! हियां कोई वाको उत्तरयी नाहिं दै रओ है।मुसद्दी दद्दा तौ हम पै इत्ते नाखुश हुई जात हैं कि लठा उठाइ लेत हैं!ताके मारे हम चौपारि पै नाहिं जात हैं।
मैंने उन्हें टोकते हुए कहा कि हलुके भइया का पूछत हौ!बोलौ!
वे बोले-हमारी बतौनियाँ बताओ तो जाने...
रडुआ राजा
भडुआ दरबारी..
इन दोउन ने मिलिके करि दई...
सगरे देश की ख्वारी...
दओ कटोरा हाथ में सबके..
सब बनि गए भिखारी....
रडुआ कहे तो भडुआ नाचें
मारि मारि के तारी..
जो कोई बोले ताहि देत हैं
भरि भरि झोरा गारीं....
एक ही रोग है जा भडुआ को
बोलत है दिन राती..
भडुआ वाकी हर बात पै
कूटत अपनी अपनी छाती..
जाके घर तो दिया जरे नहीं
औरन की खींच लाई बाती..
रडुआ राजा भडुआ दरबारी
देस पै परि गए भारी!
बताओ हमाई बतौनियाँ!
मैंने उनकी बतौनियाँ सुनने के बाद कहा कि हलुके भइया जरा सुराग तो दो!तब तो दूं उत्तर !
इस पर वे हंसे और बोले-अब सुराग तो हम दिहई नायीं!अब तुम समुझो मेरे मन की बात!
यह कर हलुके ने ठहाका लगाया और फ़ोन काट दिया!
अब आपके पास हो इसका उत्तर तो आप ही बता दीजिए!