लंकेश नाम की दुकान, रावण की मूर्ति, ये सब देखकर सहज ही यह भान होने लगता है कि क्या हम लंका में हैं. ये तस्वीर भी भारत की है. भारत में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के बीसलपुर की रामलीला को एक ऐतिहासिक घटना ने रावण वध को विशेष बना दिया. यहां रावण वध से एक नहीं तीन-तीन रावण पात्रों की मौत हो चुकी है जिसमें एक की मौत तो रावण वध के समय राम का तीर लगते ही हो गई.
पीलीभीत के बीसलपुर की रामलीला में जब राम के तीर से रावण की मौत हुई, तब तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) भी मौके पर मौजूद थे. बीसलपुर की इस रामलीला की एक खास बात ये भी है कि आज तक एक ही परिवार के लोग रावण का पात्र निभाते आ रहे हैं. लीला मंचन के दौरान मैदान में रावण का अभिनय करने वाले गंगा उर्फ कल्लू मल,अक्षय कुमार और गणेश कुमार की मृत्यु हो गई है. मौके पर मौजूद लोग इस घटना के गवाह बने.
बीसलपुर के रहने वाले गंगा उर्फ कल्लू ने साल 1963 में पहली बार रावण की भूमिका निभाई थी. गंगा उर्फ कल्लू का रामलीला के दौरान रावण के वध के समय राम का तीर लगते ही मौत हो गई थी. तभी से यहां दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता. इस बार आने वाली 20 तारीख को रावण दहन होगा. यहां रामलीला मैदान में रावण की मूर्ति लगी है.
जब रावण बने कल्लू की मौत हुई उसके बाद मैदान में उनकी मूर्ति लगा दी गई. कल्लू रावण का इतना भक्त था कि जब कोई उससे राम-राम कहता तब वे जय भोले कह कर आगे बढ़ जाते. आज बीसलपुर में इनके घर में सभी लोगों के नाम के आगे रावण लगता है. इतना ही नहीं, बीसलपुर में लंकेश के नाम से एक आभूषण की दुकान भी है. अब कल्लू राम के पौत्र दिनेश रस्तोगी रावण का पात्र निभा रहे है. हालांकि इस बार दिनेश के छोटे भाई राजगोपाल रावण का किरदार निभाएंगे. राजगोपाल बताते हैं कि उन्होंने कहा कि मुझे डर नहीं लगता.
दशहरा के दिन दूर-दूर से लोग रामलीला देखने पहुंचते रहे हैं लेकिन इसबार बीसलपुर की प्रसिद्ध रामलीला की रौनक पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता दिख रहा है. बीसलपुर की रामलीला की रौनक फीकी है. रामलीला मंचन यहां किसी मंच पर नहीं, ग्राउंड में ही होता है. रामलीला देखने के लिए दर्शक ग्राउंड के बाहर खड़े होकर रामलीला देखते हैं.