संयुक्त मोर्चा की बैठक खत्म: सरकार से बातचीत के लिए युद्धवीर सिंह और गुरनाम सिंह चढूनी समेत पांच सदस्यीय कमेटी गठित

Update: 2021-12-04 12:01 GMT

अपनी मांगों को लेकर सरकार से बातचीत करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसमें किसान नेता बलबीर राजेवाल, युद्धवीर सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, अशोक तावले व शिवकुमार कक्का शामिल हैं।

किसान नेता जोगेंद्र सिंह उग्रांह ने कहा कि सरकार बार-बार छोटी कमेटी गठन करने की बात कह रही थी। इसलिए छोटी कमेटी बनाई गई है। पहले कृषि कानूनों का बड़ा मुद्दा था। उस समय छोटी कमेटी का कानूनों में संशोधन पर मान जाने या दबाव का डर था। लेकिन अब कानून वापस हो चुके हैं। बड़ा मुद्दा हल हो गया है। अब छोटे मुद्दों पर छोटी कमेटी का गठन किया गया है। जो सरकार से हर मुद्दे पर बातचीत कर सकती है।

किसान नेता रणजीत सिंह राजो ने कहा कि किसान अब घर तो जाना चाहते हैं, लेकिन कब जाना है और कैसे जाना है, यह मोर्चा तय करेगा। उन्होंने कहा कि तीन कानून वापस हो गए हैं, लेकिन एमएसपी की गारंटी समेत 6 मुद्दे अभी बाकी है। अहम बात यह है कि हरियाणा सरकार के साथ किसानों की बैठक में सरकार ने मुआवजा देने से इनकार दिया है। जब सरकार ने 15 दिन पहले किसानों से माफी मांगकर कानून वापस ले लिए हैं तो अब बाकी मांगें क्यों नहीं मानी जा रही।

मीटिंग के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि 5 लोगों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी सरकार से सभी मामलों पर बातचीत करेगी। सरकार को बातचीत करनी है तो कमेटी से संपर्क कर सकती है। अगली मीटिंग संयुक्त किसान मोर्चा की यहीं पर 7 तारीख को 11-12 बजे होगी। टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा भी ऐसे ही काम करता रहेगा।

किसान नेता जोगेंद्र सिंह ने कहा कि हम साफ कहते हैं कि सरकार जब तक सारे केस वापस नहीं लेगी तब तक हम नहीं जाएंगे। इसकी सरकार से लिखित गारंटी चाहिए। जोगेंद्र सिंह ने कहा कि पहले कईं बार हुआ है कि सरकार ने केस आंदोलन के केस वापस करने की बात बोल दी लेकिन बाद में उसमें लोगों को सजा तक हुई है।

21 तारीख को जो पत्र लिखा था, उसका आज तक सरकार से कोई जवाब नहीं आया। जब तक मुकदमे वापस नहीं होंगे हम यहां से नहीं जाएंगे।किसानों की मृत्यु के आंकड़े न होने वाले कृषि मंत्री ने बयान की शिवकुमार कक्का ने निंदा की। 

इससे पहले हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने आंदोलनरत किसानों को सलाह दी थी कि वह आंदोलन खत्म करें। इसके बाद सरकार किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर विचार कर सकती है। जहां तक किसानों के जब्त वाहनों का मामला है, तो इस मुद्दे पर दोनों पक्ष आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे।  

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) समन्वय समिति के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक आश्वासन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी लंबित मांगों के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में आंदोलन को वापस लेने के लिए 6 प्रमुख मांगें उठाई थीं मगर सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में किसानों को आंदोलन जारी रखने के लिए बाध्य किया जा रहा है। 

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