16 साल बाद घर पहुंचा शहीद का शव, पहली बार पिता का चेहरा देख बेटी ने किया ये बड़ा ऐलान
शहीद सैनिक अमरीश त्यागी का 16 साल बाद मंगलवार को सैनिक सम्मान के साथ गाजियाबाद के मुरादनगर के गांव हिसाली में अंतिम संस्कार हुआ। बेटी ईशू ने पहली बार पिता का चेहरा देखा। पिता का शव देखकर वह बिलख पड़ी। बोली मैं भी सेना में जाऊंगी और पिता की तरह देश की सेवा करूंगी। यह सुनकर सबकी आंखें नम हो गई। अमरीश जब लापता हुए थे, तब ईशू का जन्म भी नहीं हुआ था। उसने अपनी मां से ही पिता को जाना था। परिवार के दूसरे सदस्यों की तरह उसे भी उम्मीद थी कि एक दिन पिता आएंगे। लेकिन 16 साल बाद वह उम्मीद टूट गई। शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। भतीजे दीपक त्यागी ने मुखाग्नि दी। गौरतलब है कि हिसाली गांव के पूर्व सैनिक राजकुमार त्यागी का छोटा बेटे अमरीश त्यागी सेना में नायक के पद पर तैनात थे। 2005 सितंबर में सेना का 25 सदस्यीय दल ने हिमालय की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ (7075) पर तिरंगा फहराया था।
इस दल में अमरीश त्यागी भी शामिल थे। पर्वतारोही दल जब तिरंगा फहराकर लौट रहा था तो 23 सितंबर को अचानक चार जवानों के पैर फिसल गए, वह बर्फ की खाई में जा गिरे। रेस्क्यू ऑपरेशन में तीन सैनिकों के शव बरामद कर लिए गए थे। अमरीश का शव नहीं मिला था। बड़े भाई विनेश त्यागी ने बताया कि 2006 में सेना ने अमरीश त्यागी को मृत घोषित कर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया था।
इसके बाद 23 सितंबर 2021 को अमरीश का शव गंगोत्री हिमालय से बरामद हुआ। सेना के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। मंगलवार सुबह करीब 10:10 बजे सैनिक का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। अंतिम दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। अमरीश का शव देखकर पत्नी बबीता, बेटी ईशू, बहन सुमन, भाई रामकिशोर, विनेश त्यागी, अरविंद त्यागी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
दोपहर करीब डेढ़ बजे भतीजे दीपक त्यागी पुत्र रामकिशोर ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। सैनिक की अंतिम यात्रा में पावन चिंतन धारा आश्रम के आध्यात्मिक गुरू पवन सिन्हा, विधायक अजीतपाल त्यागी, ब्लॉक प्रमुख राजीव त्यागी, भाजपा पश्चिम क्षेत्र संयोजक मीडिया संपर्क विभाग अमित त्यागी, रालोद नेता अमरजीत सिंह बिड्डी, अमित त्यागी सरना, सपा नेता श्रवण त्यागी, नितिन त्यागी, विकास यादव, कांग्रेस नेता अभय त्यागी उर्फ राजू, विनीत त्यागी, देवदत्त त्यागी, विश्वदीप त्यागी, मोदीनगर एसडीएम आदित्य प्रजापति, तहसीलदार प्रकाश सिंह, एसओ सतीश कुमार आदि मौजूद रहे।
गंगनहर से गांव तक लगे तीन घंटे
शहीद को अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। गंगनहर से गांव तक पहुंचने में करीब तीन घंटे लगे। सुबह आठ बजे से लोग गंगनहर में एकत्रित होने शुरू हो गए थे। पुलिस फोर्स तैनात रही।
विधायक के फोन के बाद पहुंचे अधिकारी
सैनिक की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए सेना के जवान समेत गांव, आसपास व कॉलोनियों के लोग पहुंचे। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मौजूद नहीं होने पर विधायक अजीतपाल त्यागी ने डीएम को फोन कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद मोदीनगर एसडीएम आदित्य प्रजापति और तहसीलदार प्रकाश सिंह पहुंचे।
सैनिक स्मृति द्वार बनवाने की मांग
शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों ने अमरीश त्यागी के सम्मान में हिसाली गांव में स्मृति द्वार बनने की मांग विधायक व एसडीएम से की। उन्होंने इस दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया।
16 साल बाद टूटी आस
अमरीश त्यागी 1996 में सेना में भर्ती हुए थे। उनकी शादी मेरठ निवासी बबीता के साथ हुई थी। जिस समय अमरीश लापता हुए थे तो पत्नी गर्भवती थीं। करीब पांच माह बाद बेटी का जन्म हुआ। अब ईशू कक्षा 11 में पढ़ती है। इस बीच शहीद की मां विद्यावती का निधन हो गया। शहीद के भाई रामकिशोर, विनेश त्यागी, अरविंद त्यागी, बहन सुमन का कहना है कि उन्हें आस थी कि भाई लौटेगा। 16 साल बाद यह आस टूट गई।