शकील अख्तर
ऐसा भी हो सकता है? इतना अविश्वसनीय! बड़ा सदमा। तोड़ देने वाली भयानक खबर। तलवार जी चले गए। ईशमधु तलवार हमसे थोड़े से ही बड़े होंगे। दो या तीन साल। शकील कहने वाले बचे बहुत कम लोगों मे से एक। बहुत अधिकार और प्रेम से कहते थे।
रात तीन बजे अपनी स्टडी में पढ़ते लिखते हार्ट फेल हो गया। मानसरोवर (जयपुर) मेंं नया मकान बनवाया था। गांधीनगर के सरकारी मकान से तीन चार साल पहले ही वहां शिफ्ट हुए थे। बहुत खुश थे। अपने स्टडी के फोटो डालते रहते थे। वहीं हमेशा के लिए सो गए। तीन बजे तक जब अंदर सोने नहीं आए तो शमा भाभी देखने गईं मगर तब तक वे हमेशा के लिए सो चुके थे।
भाभी सेन्ट्रल स्कूल में टीचर थीं। अभी रिटायर हुई थीं। बेटा डेंटिस्ट है। और अभी एसएमएस मेडिकल कालेज में ज्वाइन किया था। बहुत खुश थे। बेटी आस्ट्रेलिया में है।
क्या लिखें? दिल बुरी तरह टूट गया। भयानक।
नवभारत टाइम्स जयपुर में हमारे चीफ रिपोर्टर थे। राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव। अभी पिछले चार साल से कारपोरेट के जयपुर लिट फेस्ट के मुकाबले जन साहित्य सम्मेलन करके धूम मचा रखी थी। साहित्यिक आयोजनों को बहुत उत्साहपूर्वक कर रहे थे। जयपुर में साहित्यिक गतिविधियों का केन्द्र बन गए थे।
बहुत प्रिय मित्र। बहुत जल्दी चले गए।। अभी यू ट्यूब चैनल शुरु किया था। साहित्य और संगीत पर केन्द्रित। नई किताब पर काम कर रहे थे। उपन्यास रिनाला खुर्द बहुत लोकप्रिय हुआ था। बहुत सक्रिय थे। उत्साह से भरे हुए। अभी दो दिन पहले हिन्दी दिवस के कार्यक्रमों में बहुत उत्साह से शामिल हुए थे। बहुत कुछ करना चाह रहे थे। कई बातें बताईं थीं। मगर सब खत्म।
विदा तलवार जी। अलविदा मेरे बहुत प्यारे दोस्त। कुछ और लिखेंगे। आप खुश होते थे हमें पढ़कर। अब बहुत दूर चले गए। मगर हमें मालूम है पढ़ेंगे। और हम अब कितना भी लिख लें पूरी बातें शायद कभी भी नहीं लिख सकें। बहुत यादें, बहुत बातें हैं। अच्छे लोगों के साथ यही समस्या होती है कि वे छोड़ बहुत जाते हैं। बहुत प्रेम और बहुत अच्छे काम।