भोपाल।मध्यप्रदेश के एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव की तारीखें चुनाव आयोग ने अभी तक घोषित नही की हैं।लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है।उन्होंने इस अभियान को जनदर्शन का नाम दिया है।
प्रदेश के खंडवा लोकसभा और जोबट,रैगांव तथा निबाड़ी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं।इन क्षेत्रों से चुने गए प्रतिनिधियों की मृत्यु हो गयी है।
हालांकि भाजपा ने काफी पहले से अपनी तैयारी शुरू कर दी है।वह किसी भी कीमत पर ये उपचुनाव जीतना चाहती है।भाजपा ने इन इलाकों में सांसदों,विधायकों और मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है।
शिवराज ने अपना चुनावी अभियान रविवार को सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट से शुरू किया।यह सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागड़ी के निधन की बजह से खाली हुई है।शिवराज ने इस इलाके में कुल 25 किलोमीटर तक जनता को दर्शन दिए।इस दौरान उन्होंने सौगातों की झड़ी लगा दी।
यही नही शिवराज ने जनता के बीच यह दिखाने की भी कोशिश की कि वे क्षेत्र के विकास के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।नायक फ़िल्म से बहुत ज्यादा प्रभावित शिवराज ने एक जनसभा में कलेक्टर और इंजीनियर को मंच पर बुला कर जनता के कटघरे में खड़ा कर दिया।उन्होंने बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में अफसरों से जवाब तलब किया।साथ ही मंच पर ही पेयजल योजना के पूरे होने का समय भी पूछ लिया।
यह अलग बात है कि फ़िल्म का नायक एक दिन का मुख्यमंत्री था।जबकि शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे पन्द्रहवां साल चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने अपने स्वभाव के अनुरूप बड़ी बड़ी घोषणाएं रैगांव इलाके के लिए कीं।साथ ही अपनी चौथी पारी की उपलव्धियां भी गिनायीं।
शिवराज मंगलवार को निबाड़ी क्षेत्र में जनता को दर्शन देंगे।बुधवार को जोबट जाएंगे।खंडवा लोकसभा क्षेत्र में उनका यह अभियान कुछ दिन पहले ही शुरू हो गया था।वहां भी वे करोड़ों के विकास कार्य घोषित करके आये थे। उपचुनाव की तारीख घोषित होने तक उनका यह अभियान जारी रहेगा।
उधर कांग्रेस ने उनकी इस यात्रा पर सवाल उठाया है।पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि शिवराज उन्हीं इलाकों में जनता को दर्शन देने क्यों जा रहे हैं जहाँ उपचुनाव होने हैं।उन्होंने कहा है कि हमें उनकी यात्रा पर कोई आपत्ति नहीं है।लेकिन वे उन इलाकों में भी जनता को अपने दर्शन दें जहाँ की जनता वेसब्री से उनका इंतजार कर रही है।
मजे की बात यह है कि इस जनदर्शन यात्रा के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि कहीं कोई विरोध न हो।इसी लिए पुलिस ने कांग्रेसी नेताओं को घरों में नजरबंद कर दिया।जो बाहर थे उन्हें तब तक हिरासत में रखा जब तक मुख्यमंत्री वापस नही चले गए।
दरअसल यह उपचुनाव शिवराज के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।उनकी सरकार बनने के बाद हुए 26 उपचुनाव ने उन्हें बहुमत तो दिला दिया था।लेकिन दमोह उपचुनाव में करारी हार ने बहुत बड़ा धक्का दिया था।
शिवराज की चिंता दिल्ली में बैठी हाईकमान को लेकर भी है।दिल्ली जिस तरह मुख्यमंत्री बदल रही है उससे उनके कान खड़े हो गए हैं।वैसे भी मध्यप्रदेश में कई "भूपेंद्र पटेल'" पहले से ही प्रतीक्षारत हैं।इसी बजह से वे सरकार का खजाना खाली होने के बाद भी लगातार घोषणाएं किये जा रहे हैं।यह अलग बात है कि सरकार की सैकड़ों योजनाएं पैसे की कमी की बजह से लटकी पड़ी हैं।