एसपी सिटी ने हेड कांस्टेबल को रंगे हाथ पकड़ा,गिरफ़्तारी से बचने के लिए इंस्पेक्टर फरार

इंस्पेक्टर के भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर थाने के इंस्पेक्टर व सिपाही सहित 5 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए सिपाही को गिरफ्तार कर लिया.

Update: 2021-09-01 12:30 GMT

मेरठ: उत्तर प्रदेश की पुलिस पर यू तो अक्सर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते है.लेकिन मेरठ में थानेदार के खिलाफ उसी के थाने में रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया. दरअसल रिश्वत मांगने की शिकायत मिलने पर मेरठ के एसएसपी ने एसपी सिटी के निर्देशन में टीम बनाकर जहां एक तरफ सदर थाने के सिपाही को 50 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.वहीं इंस्पेक्टर के भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर थाने के इंस्पेक्टर व सिपाही सहित 5 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए सिपाही को गिरफ्तार कर लिया.

उधर हेड कांस्टेबल की गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर सदर बाजार बिजेंद्र राणा थाने से गायब हो गया. बताया जाता है कि सबूत के आधार पर सदर बाजार के हेडकांस्टेल और इंस्पेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोप है कि दोनों ट्रक चोरी के एक मुकदमे की विवेचना में वसूली कर रहे थे.

एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया कि थाने के हेड कांस्टेबल और इंस्पेक्टर ट्रक चोरी के मामले में पूछताछ के लिए लाए गए खतौली के वकार को छोड़ने के एवज में एक लाख की रिश्वत मांग रहे थे. पचास हजार की रकम पहले ही हेड कांस्टेबल मनमोहन को दी जा चुकी थी.

बाकि की रकम हेड कांस्टेबल मनमोहन को दी जानी थी. खतौली का वकार शाम चार बजे थाने के बाहर पोस्ट ऑफिस के सामने मनमोहन को बाकी रकम देने पहुंचा. तभी एसपी सिटी की टीम ने मनमोहन को रकम के साथ पकड़ लिया. रिरश्वतखोर मनमोहन को एसएसपी के सामने पेश किया गया. जिसमें उसने बताया कि इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा के कहने पर वो रुपये लेने गया था.

उन्होंने बताया कि इंस्पेक्टर इससे पहले भी ट्रक स्वामी और चालक को छोड़ने की एवज में तीन लाख की रकम वसूल चुके हैं. एसएसपी ने इंस्पेक्टर के आवास की तलाशी लेने के आदेश दिए. और पूरे मामले की गहराई से जांच करने के आदेश दे दिए हैं.





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