सीएम योगी के सिंध बनान पर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क बोले-राम मंदिर मामले में नहीं हुआ...
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी के सिंध वापस लेने के बयान पर सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। पढ़िए पूरी खबर..
Shafiqur Rahman Barq: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी के सिंध बयान को लेकर पाकिस्तान समेत देश भर में खूब चर्चा हो रही है। सीएम के इसी बयान को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) ने भी प्रतिक्रिया दी है। आपको बता दें कि सपा सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क भी अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। इस बार फिर से सपा सांसद ने सीएम योगी के सिंध को वापस लेने वाले बयान पर ऐसी प्रतिक्रिया दी है, जिस पर सियासत गरम हो गई है। सपा सांसद ने कहा कि राम जन्मभूमि मामले में इंसाफ नहीं हुआ, नाइंसाफी हुई है। वहीं सिंध को लेकर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का सिंध लेना आसान नहीं है।
राममंदिर मामले में नहीं हुआ इंसाफ-सपा सांसद
सपा सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने सीएम योगी को नजूमी यानी ज्योतिषी बताते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ तो ज्योतिषी हैं। वह तो नीचे और ऊपर की सब बातें करते हैं, लेकिन राम जन्मभूमि मामले में इंसाफ नहीं हुआ है। उसमें नाइंसाफी हुई है और वह संविधान और कानून के खिलाफ हुआ है। चाहे आप उसमें राम मंदिर बना लें, लेकिन इतिहास माफ नहीं करेगा।
सीएम योगी के बयान पर बोले सपा सांसद
डॉ. बर्क ने आगे कहा कि बाबरी मस्जिद को तो यहां इन्होंने गैरकानूनी तरीके से अपनी ताकत के बल पर कब्जे में लेकर उसे तोड़ दिया और फिर वहां जबरदस्ती मंदिर बना रहे हैं। इसे ठीक नहीं ठहराया जा सकता। यह कोई कानूनी बात तो हुई नहीं, लेकिन पाकिस्तान का सिंध ले लेना आसान बात नहीं है। वहां बहुत टेढ़ी बात है अब यह जाने और वह जाने। वहां का मसला अलग है। यह कोई कानूनी बात तो कर नहीं रहे हैं यह तो अपनी ताकत की बात कर रहे हैं।
सीएम योगी ने सिंध को लेकर क्या कहा था
आपको बता दें कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में राष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि जब 500 वर्षों के बाद अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। अगर राम जन्मभूमि वापस ली जा सकती है, तो कोई कारण नहीं कि हम सिंध प्रांत को वापस न ले पाएं। सीएम योगी के इस बयान से पाकिस्तान को भी मिर्ची लग गई थी। पाकिस्तान ने इसे गैरजिम्मेदाराना बयान बताते हुए इसे विस्तारवादी मानसिकता करार दिया था।
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