महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है. मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था, महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें, इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें. फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें साथ ही महाशिवरात्रि पर पूजा में ध्यान दें, भोलेनाथ पर सिंदूर, शंख, नारियल, तुलसी दल, तिल, केतकी के फूल, खंडित चावल नहीं चढ़ाने हैं.मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है, यह भगवान शिव का प्रतीक है, शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन.
मान्यतानुसार, इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए. वेदों का वचन है कि रात्रि के चार प्रहर बताये गये हैं इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी है, इस पूजा से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं.
महाशिवरात्रि के पहले प्रहर की पूजा- 1 मार्च, 2022 शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट तक है, जबकि इसी दिन दूसरे प्रहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट तक होगी। इसके बाद तीसरे प्रहर की पूजा- रात्रि 12:33 मिनट से सुबह 3 :39 मिनट तक है, वहीं चौथे प्रहर की पूजा- 2 मार्च सुबह 3:39 मिनट से 6:45 मिनट तक है, इसके बाद पारण का समय- 2 मार्च बुधवार 6:45 मिनट के बाद से है।
इस बार महाशिव रात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र और परिधि योग होने से महासंयोग बन रहा है। चंद्रमा के कुंभ राशि में प्रवेश करने से भी महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी। धनिष्ठा नक्षत्र होने से शिव उपासना से दांपत्य सुखी की प्राप्ति और शोक से मुक्ति मिलेगी।महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने मनोकामना की सिद्धि होती है, शिवरात्रि पर्व पर रात्रि जागरण करने से अंधकार रूपी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं जानें...
प्रथम प्रहर में- 'ह्रीं ईशानाय नमः'
दूसरे प्रहर में- 'ह्रीं अघोराय नमः'
तीसरे प्रहर में- 'ह्रीं वामदेवाय नमः'
चौथे प्रहर में- 'ह्रीं सद्योजाताय नमः'।। मंत्र का जाप करना चाहिए.
इसके साथ ही व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए, अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए.
यदि आपके विवाह में अड़चन आ रही है तो शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर मिलाकर दूध चढ़ाएं जल्दी ही विवाह के योग बन सकते हैं, आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिये मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं एवं इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें, यह धन प्राप्ति का सरल उपाय है, संतान प्राप्ति में आ रही बाधा को दूर करने के लिये इस दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें तथा संतान प्राप्ति की कामना करें, इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं ।
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डॉ0 गौरव कुमार दीक्षित ज्योतिषाचार्य, सोरों जी 08881827888