शनि-राहु के कारण अचानक हो सकता है नुकसान, जानिए खास बातें ,यदि कुंडली के किसी भी भाव में शनि-राहु या शनि-केतु की युति है तो प्रेत श्राप योग बनता है।
शनि-राहु या शनि-केतु की युति संबंधित भाव के फल को पूरी तरह बिगाड़ देती है। साथ ही, व्यक्ति को धन, संतान, जीवन साथी के संबंध में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है।
1. शनि-राहु की युति हो तो कभी-कभी अचानक ही भारी नुकसान हो सकता है। ऐसी घटना भी घट सकती है, जिसका दूर-दूर तक कोई अंदेशा न हो।
2. इस योग की वजह से किसी भी ग्रह की दशा में या उम्र 7 से 12 या 36 से लेकर 47 वर्ष तक के समय में समस्याओं का दौर चलता रहता है।
3. कुंडली में यदि शनि-राहु की दृष्टि किसी शुभ ग्रह पड़ जाए तो उस ग्रह के सभी शुभ फल खत्म हो सकते हैं।
4. इसे शनि ग्रह से निर्मित पितृ दोष भी कहा जाता है। इस दोष का निवारण भी घर में संतान के जन्म लेते ही किसी विशेषज्ञ ब्राह्मण से करवा लेना चाहिए। अन्यथा मकान संबंधी परेशानियां शुरू हो सकती हैं। व्यापार बंद हो सकता है। पिता पर कर्जा बढ़ सकता है।
5. यदि व्यक्ति और उसकी संतान की कुंडली में प्रेत श्राप योग बन रहा है तो नौकरी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
6. जिन लोगों की कुंडली में ये योग होता है, उनके घर में जगह-जगह दरारें दिखाई देती हैं। साफ-सफाई के बावजूद सफाई दिखाई नहीं देती है।
7. इस योग के प्रभाव से घर में सांप-बिच्छू भी निकलते रहते हैं।
8. सप्तम भाव ये योग बनने पर व्यक्ति का वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा रहता है।
9.अष्टम भाव में ये योग बन रहा हो तो व्यक्ति पर नकारात्मक शक्तियां हावी हो सकती है।
10. नवम भाव में शनि-राहु का ये योग हो तो व्यक्ति भाग्य का साथ प्राप्त नहीं कर पाता है।
11. यदि ये योग कुंडली के दशम भाव में बन रहा है तो चलता हुआ व्यापार बंद हो सकता है।
12. एकादश भाव में ये योग बन रहा हो तो लगातार आने वाली मुसीबतों से इंसान हार जाता है।
अगर आपके जीवन मे ऐसी कोई समस्या चल रही हो तो कृपया आप अपने नजदीक किसी भी आचार्य से संपर्क कर सकते है।
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