मुंगेर।टीबी एवं एड्स के मरीजों को चिह्नित कर सुचारू ढंग से इलाज के लिए प्रयासरत जिला स्वास्थ्य के टीम ने क्षेत्र सर्वे का काम शुरू कर दिया है। आज बैठक कर जिला पदाधिकारी ने नोडल पदाधिकारी (टी0बी0 एवं एड्स) को निदेश दिया कि जिले में सुदूर क्षेत्रों और तीव्रतम मरीज वाले क्षेत्रों में गहन सर्वेक्षण का काम करे। आशा एवं अन्य स्वास्थ्य के सदस्यों द्वारा उन क्षेत्रों में जाकर डोर टू डोर सर्वे करे तथा संदेहपरक मरीज का केस हिस्ट्री के बारे में पूछताछ कर उसका डाटा बेस तैयार करे।
लगभग सभी प्रखंडों में टी0बी0 के मरीज है। एक आकड़े के अनुसार प्रत्येक वर्ष एक लाख के आबादी पर 213 टी0बी0 के मरीज है। स्लम क्षेत्र काफी भीड़ भाड़ वाले स्थानों में टी0बी0 के संभावित मरीज मिलते है। दो सदस्य स्वास्थ्य टीम प्रतिदिन 50 घरों में जाकर टी0बी0 के संबंध में जानकारी देगी, पुछताछ करेगी एवं लक्षण पाये जाने पर उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुमोदित दवा को मुफ्त उपलब्ध करयेगी।
गौरतलब है कि 21 अक्टूबर से 09 नवम्बर तक टी0बी0 पखवाड़ा मनाया जा रहा है जिसमें सभी टी0बी0 के संभावित मरीजों को इलाज के लिए प्रेरित करने काम किया जा रहा है। उन्हें जाॅच के लिए माॅटिवेट किया जा रहा है।मरीज का स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं आने की स्थिति में उनके घर पर ही उनसे सैंपल लिया जायेगा तथा टी0बी0 केंद्र में जांच किया जायेगा। 06 महीने का डोज में पूरी तरह से टी0बी0 ठीक किया जा सकता है।
बताते चलें कि यदि एक मरीज को टी0बी0 मरीज का उपचार नहीं किया जाय तो 01 साल में वह 10 स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। क्योंकि यह हवा द्वारा फैलता है। यदि किसी व्यक्ति को 02 सप्ताह से अधिक खांसी है वजन कम रहा है रात में पसीना आता है, तो यह टी0बी0 के लक्षण हो सकते है। नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर डॉट्स उपचार के माध्यम से पूरी तरह से ठीक हो सकते है। पंचायत स्तरीय स्थानीय प्रतिनिधि के माध्यम से भी जागरूकता फैलाने का कार्य किया जा रहा है।
एचआईवी को लेकर भी जिला स्वास्थ्य प्रशासन गंभीर दिख रही है। एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों को सही इलाज देने पर पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। दिसम्बर 2020 में जिले में एआरटी (एंटी रेट्रो वायरस थैरेपी) सेंटर खुला। तब से जिले में ही इस दिशा में थैरेपी मिलना शुरू हो गया। पहले इसके लिए भागलपुर जाना पड़ता था। बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा मुफ्त उपलब्ध करायी जाती है। जिले में लगभग 2500 एचआईवी पीड़ित मरीज है। जिसका प्रोपर इलाज किया जा रहा है। दवा लेकर आजीवन सही ढंग से जीवन व्यतीत किया जा सकता है।