क्या होता है लू लगना?
गर्मी के मौसम में शुष्क और बेहद गर्म हवा चलने को लू कहा जाता है। यह समस्या अप्रैल से लेकर जून के महीने में अधिक होती है, क्योंकि इस बीच पारा बहुत हाई होता है और बेहद गर्म और ड्राई हवाएं चलती हैं। किसी व्यक्ति को लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि शरीर का तापमान बढ़ जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक धूप व लू से बचने के साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर इन तमाम समस्याओं से बचा जा सकता है। डाक्टरों का सुझाव है कि बढ़ती गर्मी के मद्देनजर अनावश्यक लोग दोपहर को धूप में ना निकलें। अगर कोई बहुत जरूरी काम है और बाहर जाना ही है, तो घर से पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर जाएं। कपड़े से पूरे शरीर को ढंकें। इसके साथ ही बासी खाना, कटे फल व मसालेयुक्त पदार्थों से परहेज करें। इस बीच हल्का व सुपाच्य भोजन करें। सुबह-शाम व्यायाम करें। गर्मी से बचने के लिए सत्तू का भी इस्तेमाल करें।
गर्मी और लू से बचाव के लिए जरूरी सुझाव-
कड़ी धूप में गैरजरूरी कार्यों से बिलकुल बाहर न निकलें।
धूप में ढीले, हल्के और सूती कपड़े पहनकर बाहर निकलें।
पौष्टिक आहार खाकर, पेय पदार्थ साथ लेकर बाहर जाएं।
गर्मी में हल्का भोजन करें। कच्चा प्याज, सत्तू, दही जरूर खाएं।
लू से बचने के लिए खूब पानी पीएं।
तेज हवा के साथ धूल भी है खतरनाक
गर्मी में तेज हवा के झोंके के साथ धूल से भी संक्रमण की समस्या होती है। कई बार ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण की शिकायत हो जाती है। यह समस्या जीवाणु के कारण होती है जो वातावरण में धूल के साथ मौजूद रहते हैं। इनसे गले में खराश, शरीर में दर्द व तेज बुखार भी हो सकता है।
लू लगने के लक्षण
लू लगने से शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है।
शरीर में थकावट व कमजोरी महसूस होती है।
तेज दर्द के साथ शरीर में अकड़न व बार-बार जी मिचलाता है।
लू लगने पर करें ये उपाय-
लू लगने पर व्यक्ति को छाया, कूलर, एसी या पंखे में लिटाएं।
शरीर, गर्दन, सिर और पेट पर ठंडे पानी से भिगोकर गीला कपड़ा रखें।
पीड़ित को ओआरएस के घोल के साथ छाछ या शरबत पिलाएं।
अगर आराम न मिले तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।