खुलेंगे ताजमहल के 22 बंद दरवाजे? हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू
भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने कोर्ट में याचिका दायर कर ताजमहल के 22 कमरों में से 20 कमरों को खोलने की मांग की है। उन्होंने इन कमरों में हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि इन बंद कमरों को खोलकर इसका रहस्य दुनिया के सामने लाना चाहिए।
ताजमहल के तहखाने में बने 22 कमरों में से 20 को खोलने की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में गुरुवार को 12 बजे सुनवाई हुई। ताजमहल विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है।
जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा- याचिकाकर्ता PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, PHD करें, तब कोर्ट आएं। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना। इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा। फिलहाल कोर्ट ने सुनवाई लंच के बाद 2.15 पर दोबारा करने का फैसला किया है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछे तीखे सवाल
ताजमहल के 20 बंद दरवाजे खोलने की मांग वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछे तीखे सवाल।
याचिकाकर्ता: कृपया मुझे उन कमरों में जाने की अनुमति दें।
कोर्ट: कल आप आकर कहेंगे कि हमें माननीय जजों के चैंबर में जाना है? कृपया जनहित याचिका प्रणाली का मजाक न बनाएं। आप हमारे साथ इस मुद्दे पर ड्राइंग रूम में बहस करें, न कि अदालत में।
याचिका में केंद्र सरकार को भी बनाया पक्षकार
भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने कोर्ट में याचिका दायर कर ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की मांग की है। याचिका में केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) तथा राज्य सरकार को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में उन मान्यताओं का जिक्र किया गया है जिसमें ताजमहल के इन्हीं बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर होने का दावा किया जाता है। उनका कहना है कि इन बंद कमरों को खोलकर इसका रहस्य सामने लाना चाहिए। याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस के वहां जाने और उनके भगवा वस्त्रों के कारण उन्हें रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है।
क्या है ताजमहल के 22 बंद दरवाजे वाली याचिका?
ताजमहल के बंद दरवाजे खुलवाने के लिए याचिका शनिवार को दायर की गई थी। इसमें इतिहास को स्पष्ट करने के लिए ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने की मांग की गई। याचिका में 1951 और 1958 में बने कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गई है। इन्हीं कानूनों के तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था।