छरहरी काया, पके हुए बाल, सिर पर ऑपरेशन के कट का लंबा घाव लेकिन जोश जुनून और किसानों के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे के आगे दर्द का अहसास तक नहीं। यह कहानी है भारतीय किसान यूनियन असली के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी हरपाल सिंह की।
शायद ऐसे ही कुछ किसानों और किसान नेताओं की बदौलत किसान आंदोलन आज इस मुकाम तक पहुंच सका है।बेशक कुछ ऐसे भी किसान नेता है जो आंदोलन के रास्ते अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं, लेकिन हकीकत में यह आंदोलन ऐसे किसान नेताओं के दम पर ही जिंदा है जो पर्दे के पीछे रहकर अपना काम बखूबी निभा रहे हैं।
उनको न तो टीवी में दिखने का शौक है और ना ही अखबारों की सुर्खियां बनने का। ऐसी ही विचारधारा के किसान नेता चौधरी हरपाल कहते हैं कि वास्तव में किसान ही इस आंदोलन का हीरो है सरकार के साथ हुई सभी बैठकों में चौधरी हरपाल भी किसानों के प्रतिनिधि के रूप में शामिल रहे हैं।
उनका कहना है कि सरकार की मंशा कभी इस मुद्दे को सुलझाने की नहीं रही है। सरकार ने आंदोलन समाप्त कराने की भी तमाम कोशिश की, लेकिन हम थमने वाले नहीं हैं। सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने के साथ-साथ एमएसपी को कानूनी दर्जा देना चाहिए, तभी किसानों का भला हो सकेगा।
वह कहते हैं कि अभी लंबी लड़ाई लड़नी है, किसानों को एकता बनाए रखनी होगी। देशभर के किसान इस आंदोलन से लगातार और तेजी से जुड़ रहे हैं, वह दिन दूर नहीं जब देश के अन्य राज्यों में भी दिल्ली जैसी ही स्थिति हो जाएगी। सरकार को किसानों की बात माननी ही होगी,कानून वापस लेने से कम कुछ और मंजूर नहीं होगा।