सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि कानून की वैधता नहीं तय कर सकते, तब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कही ये बात!

चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा- स्वतंत्र समिति में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य लोग सदस्य के तौर पर हो सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने किसानों से कहा कि आप इस तरह से एक शहर को ब्लॉक नहीं कर सकते हैं।

Update: 2020-12-17 08:05 GMT

तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा।

चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा- स्वतंत्र समिति में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य लोग सदस्य के तौर पर हो सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने किसानों से कहा कि आप इस तरह से एक शहर को ब्लॉक नहीं कर सकते हैं।

कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा- दिल्ली को ब्लॉक करने से शहर के लोगों को भूखे रहना पड़ सकता है। आपके (किसानों) उद्देश्य को बात करके पूरा किया जा सकता है, सिर्फ विरोध में बैठने से कोई फायदा नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है। कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उनमें से कोई भी फेस मास्क नहीं पहनता है, वे बड़ी संख्या में एक साथ बैठते हैं। COVID-19 एक चिंता का विषय है, वे गांव जाएंगे और वहां कोरोना फैलाएंगे। किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।

बता दें कि अब धीरे धीरे किसान आन्दोलन को अब एक माह का समय हो चूका है. अब तक एक दर्जन से ज्यादा किसान दिल्ली की सीमा पर अपनी जान गंवा चुके है. जबकि किसान संगठन के अनुसार अब तक दो दर्जन से ज्यादा किसान मौत के मुंह में समा चुके है. सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बढ़ती ठंड से बचने के लिए गैस हीटर लगाए हैं। एक प्रदर्शनकारी ने बताया, "लोग लकड़ी जलाकर अपना काम चला रहे हैं। किसान नेताओं ने कुछ हीटर मंगाए हैं लेकिन ये गैस से चलते हैं, इनमें खर्चा है।"

वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सुप्रीम कोर्ट में आज किसानों को बॉर्डर से हटाने की याचिका पर सुनवाई होनी है। भारतीय किसान यूनियन दोआबा के प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह ने बताया, "अभी तक हमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई नोटिस नहीं आया है।"


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