वीरेंद्र सेंगर वरिष्ठ पत्रकार
आम आदमी पार्टी यानी आप ने उत्तराखण्ड में जो राष्ट्रवादी डिस्को शुरू किया है, उससे बीजेपी की बलिदानी धुन फीकी पड़ती जा रही है. इस राज्य में सेना में सेवा देने की पुरानी विरासत चली आ रही है. रिटायर्ड फौजियों की संख्या लाखों में है. यहां के जवान और अफसर सैन्य सेवाओं में अपने शौर्य के लिए खासतौर पर जाने जाते हैं. सैनिक परिवारों का बड़ा वोट बैंक भी है. इनके बीच धुर राष्ट्रवादी सियासत खासी लोकप्रिय है. मोदी काल में ये भगवा सियासत खूब फली फूली है. राष्ट्रवादी कीर्तन के चलते यहां के फौजी परिवार बीजेपी के रंग राग में डूब गए हैं ख़ासतौर पर मोदी काल में भगवा रंग यहां और चोखा हुआ. बीजेपी ने रिटायर्ड मेजर जनरल खण्डूरी को यहां अपना सीएम भी बनाया था.
खांटी ईमानदार खण्डूरी ने बतौर सीएम, सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तेज की थी. उनकी लोकप्रियता भी बढ़ चली थी. उन्होंने ने जब पार्टी के बेईमान नेताओं को भी अपनी पवित्र मुहिम में लपेटा, तो उनके खिलाफ ही पार्टी के विधायकों और सांसदों ने दिल्ली में स्यापा शुरू कर दिया. मंत्री गण भी नाराज थे. क्योंकि की खण्डूरी जी इन्हें हर महीने करोड़ों की उगाही नहीं करने देते थे. आखिर उनकी ईमानदारी उनको ही भारी पड़ी.तत्कालीन आलाकमान ने उनका पत्ता साफ कर दिया. इस परिघटना से पूर्व फौजी परिवारों में काफी नाराजगी हुई थी.
लेकिन मोदी युग शुरू हुआ , तो राष्ट्रवाद का नया लॉलीपॉप आया. नए सियासी नारे आए. जज्बाती फौजी परिवार फिर से बीजेपी के साथ लाम बंद हो गए. ये लोग सुदूर पहाड़ी गाँवों में बीजेपी के प्रचारक बने. ये वोट बैंक भगवा मय हो गया. पिछले दिनों जब पीएम ने किसान आंदोलन के सामने घुटने झुका लिए, तो इनको लगा कि दूसरे नेताओं की तरह पीएम मोदी ने भी वोटों के लिए देश हित को कुर्बान कर दिया. तमाम वायदे ना पूरे होने से पहले भी कुछ मोह भंग शुरू था ही.
इस बीच बीजेपी और कॉंग्रेस की मुख्य चुनावी जंग में आप ने नया त्रिकोण बनाने के लिए जद्दोजहद तेज कर दी. केजरीवाल 2011 से भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में हाहाकार मचi चुके थे. अन्ना हज़ारे इसके मुख्य चेहरे थे. लेकिन इसके पीछे आरएसएस का छुपा हाथ था. अरविंद केजरीवाल भी खास भूमिका में थे. वे हीरो बने. इसी के चलते दिल्ली मे बहुमत की सरकार सालों से चला रहे हैं. मोदी तर्ज़ पर वे भी चलते हैं. हाँ, भगवा वालों से कम पाखंडी जरूर हैं. दिल्ली मे वे गरीबों के मसीहा बनने में सफल रहे हैं. वे राष्ट्रवादी सियासत के बीजेपी से बेहतर उस्ताद माने जाते हैं. वंदे मातरम का गीत पूरे जोश में गाते हैं. फौजियों की तारीफ के पुल हर सभा में बांधते हैं. कहीं , कहीं बुजुर्ग फौजियों के पैर भी खुले मंच में छू लेते हैं . फौजी परिवार उनकी पार्टी को अब बीजेपी से ज्यादा खांटी राष्ट्रवादी मान रहे हैं.
आप ने यहां अपना सीएम चेहरा रिटायर्ड फौजी कर्नल अजय कोठियाल को बनाया है. वे महीनों से दौरा कर रहे. ख़ासतौर पर रिटायर्ड फौजी ही उनका कैडर है. इधर आप ने 300 यूनिट बिजली फ्री, दिल्ली की तर्ज़ पर मोहल्ला क्लिनिक और हर वयस्क महिला को हर महीने 1000 देने का वायदा किया है. सरकार बनते ही सिर्फ एक महीने में एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने की प्रतिज्ञा ली है. जैसे दिल्ली में ऑटो टैक्सी वाले उनके मुरीद बने हैं, कुछ वैसे ही टैक्सी चलाने वाले युवा पूरे राज्य में उनके धुर समर्थक बन गए हैं. यों तो कॉंग्रेस के सीएम चेहरे हरीश रावत केजरीवाल टीम को बीजेपी की बी टीम करार करते हैं. पहले बीजेपी वाले आप की सक्रियता से खुश थे . उनको लगता था कि ये कॉंग्रेस का ही वोट काट लेंगे. ऐसे में मजे से पार्टी सत्ता में लौट आएगी
लेकिन अब खेल बदल गया है. फौजी वोट बैंक , आप ,उससे उड़ाती लग रही है. अब बीजेपी के आका केजरीवाल को देश के लिए हानिकारक बताते घूम रहे हैं. बहरहाल,आप की चाल ने बीजेपी के राष्ट्रवादी एजेंडे को जोर का झटका दे दिया है. कॉंग्रेस के लोग इस नयी सियासी उस्तादी से खासे खुश लग रहे हैं. पिछले दिनों cds जनरल विपिन रावत की मौत एक हवाई दुर्घटना में हो गई थी
वे इसी राज्य के वीर सपूत थे. बीजेपी इस मौत की सहानुभूति का लाभ चुनाव में उठाने की मुहिम में है. बेशर्मी से चुनावी वाहनों के साथ शहीद जनरल रावत के cutout भी घुमाए जा रहे हैं. अब मुकाबले में आप के नेता भी जनरल रावत के आदम कद पोस्टरों को घुमा रहे हैं. कहीं कहीं यह कहने में भी नहीं चूकते कि आपके बीर सपूत को को बड़े चोरों ने ही शहीद करा दिया है. जांच छुपा ली जाएगी. पुलवामा कांड की तरह. आप की सरकार बनी, तो जांच कराकर असली दोषियों को फांसी लगवा देंगे. अब बीजेपी के तमाम नेता सफाई दे रहे हैं. आप का कैडर ,आरएसएस की तर्ज़ पर सफेद झूठ को भी प्राण वायु देने मे माहिर हो गया है. केजरीवाल और सिसौदिया की दिखने वाली मासूमियत पर तमाम फौजी परिवार फिदा दिखाई पड़ रहे हैं. मैं भी केजरीवाल की टोपियां युवाओं के सिर पर धूम मचाये हैं. वे वोट कितने पाते हैं?ये नहीं कहा जा सकता. फ़िलहाल , इस पार्टी ने भगवा महा योद्धाओं को हलकान तो कर ही दिया है.