यूपी कांग्रेस का कौन बनेगा प्रदेश अध्यक्ष? आचार्य प्रमोद कृष्णम समेत 5 नामों पर हो रही चर्चा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में काफी खराब प्रदर्शन के सदमे से अब तक कांग्रेस (Congress) पार्टी उबर नहीं पाई है। चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद कांग्रेस ने चुनाव वाले सभी पांच राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा ले लिया था। इसी क्रम में यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू (Ajay Kumar Lallu) का इस्तीफा हुआ था। लेकिन अगला यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इस पर संशय बना बना है।
लेकिन कांग्रेस यूपी जैसे बड़े प्रदेश की जिम्मेदारी किसी एक नेता को देने के मूड में नहीं दिख रही है। सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों पर भरोसा करें तो यूपी को दो से तीन भागों में बांटकर उसके अध्यक्ष बनाए जाएंगे। कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद अब यूपी में भी बड़े बदलाव होंगे।
चिंतन के निष्कर्षों के तहत 'अनुभव' को कमान और युवाओं को बढ़-चढ़कर जिम्मेदारी देने का काम किया जाएगा। पीएल पुनिया या प्रमोद कृष्णम को अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की प्रबल संभावना है। इसके अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएंगे, जिन्हें अलग-अलग जोनों की जिम्मेदारी दी जाएगी।
चिंतन शिविर में 50 साल से कम उम्र के लोगों को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने के साथ ही पार्टी में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने का भी निर्णय किया गया। कांग्रेस के जिम्मेदार नेता कहते हैं कि इससे साफ हो गया है कि अब कांग्रेस '50' के फार्मूले पर चलेगी। आने वाले समय में सांगठनिक ढांचे में इसके बिंब भी दिखने लगेंगे।
नजदीक भविष्य में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में पार्टी को सक्रिय करना है। विधानसभा चुनावों के बाद उसके अधिकतर कार्यकर्ताओं, नेताओं और हमदर्दों में निराशा है। उनमें उत्साह का संचार करके ही पार्टी अपनी स्थिति को बदल सकती है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस रणनीति के तहत शीघ्र ही नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होगी। इसके लिए पार्टी के सांसद रहे पीएल पुनिया और उदार हिंदुत्व की छवि वाले धर्मगुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम का नाम आगे चल रहा है। कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में विधायक वीरेंद्र चौधरी, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अल्पसंख्यक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नदीम जावेद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री का नाम भी चल रहा है।
पार्टी हाईकमान का नीचे तक एक ही संदेश है कि पार्टी के नेता आपसी अंतरविरोधों को दरकिनार रखें। मन से पार्टी का काम करें। जनता के बीच अधिकाधिक संवाद स्थापित करें ताकि पार्टी अपना खोया हुआ गौरव पुन: प्राप्त कर सके। बाहर से आए जिन नेताओं ने यूपी चुनाव से पहले मेहनत से काम किया और विवादित भी नहीं रहे, उन्हें यहां रिपीट किया जा सकता है। जिनकी कार्यशैली को लेकर विवाद रहा है, उनकी भूमिका बदली जा सकती है।