उत्तर प्रदेश में मायावती से बड़ा दलित चेहरा बनेंगी बेबी रानी मौर्य
उत्तर प्रदेश सरकार में नवनिर्वाचित विधायक एवं कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ,कुछ दिन पहले गाजियाबाद आई थी ,मंत्री जी ने अपने कुछ लोगों से मुलाकात की इनमें से एक बहुत ही फेमस समाजसेवी है धर्मवीर कपासिया...
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक अजय शर्मा
उत्तर प्रदेश सरकार में नवनिर्वाचित विधायक एवं कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ,कुछ दिन पहले गाजियाबाद आई थी ,मंत्री जी ने अपने कुछ लोगों से मुलाकात की इनमें से एक बहुत ही फेमस समाजसेवी है धर्मवीर कपासिया...धर्मवीर कपासिया ने बातचीत में बताया कि इधर बेबी रानी मौर्य बहुत विनम्र स्वभाव की हैं और मिलनसार हैं आइए विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं दलितों की राजनीति के बारे में और कैसे बेबी रानी मौर्य बन सकती हैं मायावती से बड़ा दलित चेहरा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आगरा ग्रामीण क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक बेबी रानी मौर्य को भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाकर पार्टी ने दलित और महिला दोनों को एक साथ साधने की पहल की है. उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और आगरा की महापौर रह चुकीं 65 वर्षीय बेबी रानी मौर्य जाटव समाज से हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि दलित बिरादरी का अब भाजपा पर भरोसा अब और बढ़ जाएगा. खासकर जाटव विरादरी में. ऐसा भी संभव है कि आने वाले समय में बेबी रानी मौर्य दलित समाज की नई मायावती बनकर उभरें.
दरअसल, मौर्य उसी जाटव समाज से आती हैं, जिसका ताल्लुक बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती का है। इस सियासी स्थिति को विस्तार से समझते हैं।
65 वर्षीय बेबी रानी मौर्य का जन्म दलित परिवार में हुआ था। वे अनुसूचित जाति श्रेणी से आती हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से वर्ष 1990 में की थी। इसके बाद वे वर्ष 1995 में आगरा की मेयर बनी थीं। उन्हें आगरा की पहली महिला मेयर होने का भी गौरव हासिल है। 2000 तक वे इस पद पर रहीं। इसके बाद वर्ष 2000 से 2005 तक उन्होंने नेशनल कमीशन फॉर वीमेन में अपनी सेवा दी।
1997 में उन्हें उत्तर प्रदेश रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1998 में नारी रत्न पुरस्कार दिया गया। 2001 में वह राज्य समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य बनीं और फिर 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य बनीं। इसके बाद उन्होंने 2007 के विधानसभा चुनाव में एत्मादपुर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गईं। 2013 से 2015 तक वह भाजपा प्रदेश मंत्री रहीं। इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त किया। लेकिन, 8 दिसंबर 2021 को राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर वह यूपी चुनाव 2022 में आगरा ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ी और भारी बहुमत से जीत हासिल की।
बन सकती हैं सरकार का दलित चेहरा
,मेरा मानना है कि भाजपा ने चुनाव से मौर्य को राज्यपाल पद से इस्तीफा इसलिए दिलाया, ताकि उन्हें दलितों से जोड़ा जा सके। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि भाजपा अगले चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का वोट बेस खत्म करने की कोशिश में है। ऐसे में प्रदेश की सियासत में मौर्य को बड़ी जिम्मेदारी मिलना दलितों के लिहाज से पार्टी को फायदेमंद साबित हो सकता है।
जाटव समाज से आने के कारण उन्हें मायावती के सामने भाजपा खड़ा करने की कोशिश करती रही है। मायावती भी इसी समाज की राजनीति करती हैं।
उत्तराखंड की राज्यपाल पद से दे दिया था इस्तीफा
बीएड और कला में परास्नातक बेबी रानी करीब तीन साल तक उत्तराखंड की राज्यपाल रहीं और सितंबर, 2021 में उन्होंने कार्यकाल के समाप्ति से पहले अपने पद से त्यागपत्र दे दिया. उसी दौरान बेबी रानी के सक्रिय राजनीति में आने की अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं.
भाजपा ने संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया
भाजपा ने उन्हें संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया और फिर विधानसभा चुनाव में उन्हें मौका दिया, जिसमें वह विजयी रहीं. बेबी रानी राज्य बाल आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं. इससे पहले 2007 में एत्मादपुर से भाजपा के टिकट पर भी उन्होंने चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई थीं.
कैसे हुई 2022 चुनाव में एंट्री
खबरें थी कि सत्ता विरोधी लहर के चलते आगरा ग्रामीण सीट पर पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में भाजपा ने विधायक हेमलता दिवाकर की जगह मौर्य को टिकट देकर मैदान में उतारा था। यहां भाजपा ने आगरा की सभी 9 सीटों पर जीत भी हासिल की।
आगरा ग्रामीण से विधायक हैं मौर्य
आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से बेबी रानी मौर्य विधायक चुनी गई हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की किरण प्रभा केशरी को 76,608 वोटों से हराया है। बेबी रानी मौर्य को 1,37,310 वोट मिले। वहीं, बसपा की किरण प्रभा को 60,702 वोट मिले थे। बेबी रानी मौर्य ने 52.63 फीसदी वोट मिला था।
1995 से भाजपा से जुड़ी हैं बेबी रानी मौर्य
बेबी रानी ने 1995 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी और तभी वह आगरा की महापौर भी बनी थीं. इसके बाद वह पार्टी संगठन में कई पदों पर रहीं. बेबी रानी के पति प्रदीप कुमार सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के उच्चाधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं.