यूपी के डीजीपी हटाए गए: कौन होगा नया डीजीपी? डीएस चौहान समेत चार नामों पर हो रही चर्चा
उत्तर प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी भारी पड़ गई। शासकीय कार्यों की अवहेलना, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते उन्हें डीजीपी के पद से हटाकर नागरिक सुरक्षा का डीजी बनाया गया है। गोयल का सेवाकाल फरवरी 2024 तक है। वहीं, शासन की इस कार्रवाई के पीछे हाल के दिनों की घटनाएं बड़ी वजह मानी जा रही हैं। शासन ने एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार को फिलहाल डीजीपी का कार्यभार सौंपा दिया है।
डीजीपी मुकुल गोयल को हटाए जाने के बाद नई तैनाती को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है। वरिष्ठता में चार आईपीएस अफसरों से नीचे होने के बावजूद डीजी इंटेलीजेंस डॉ. डीएस चौहान को डीजीपी पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। वह 1988 बैच के आईपीएस हैं और 15 फरवरी 2020 से डीजी इंटेलीजेंस के पद पर कार्यरत हैं।
डीएस चौहान और आके विश्वकर्मा डीजी रेस में सबसे आगे
डीजीपी के हटाए जाते ही अगले डीजीपी कौन होगा इसको लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है। वरिष्ठता में पांचवें नंबर पर आने वाले 1988 बैच के आईपीएस डीजी इंटेलीजेंस देवेंद्र सिंह चौहान इस रेस में सबसे आगे हैं। इसके पीछे उनकी कार्यशैली, बेदाग छवि और सराकर का कारीबी माना जा रहा है। वह 15 फरवरी 2020 से डीजी इंटेलीजेंस के पद पर कार्यरत हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष राज कुमार विश्वकर्मा सीनियरटी के हिसाब से इस पद के मुख्य दावेदारों की सूची में सबसे ऊपर हैं। उनका नाम सरकार द्वारा दिए गए हर काम को बखूबी निभाने वालों की सूची में हैं। इसके चलते उन्हें कई प्रमुख विभागों का अतिरिक्त चार्ज भी समय-समय पर दिया जाता रहा है। उनकी आईपीएस लॉबी में भी अच्छी छवि है।
जबकि दूसरी तरफ डीजी प्रशिक्षण आरपी सिंह और डीजी सीबीसीआईडी गोपाल लाल मीणा की वरिष्ठता सूची के चलते नाम चर्चा में है। सरकार के अल्पसंख्यक कार्ड खेलने पर आरपी सिंह को फायदा मिल सकता है। हालांकि कुछ लोग डीजी जेल आनंद कुमार का नाम भी ले रहें हैं।
वहीं गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक सरकार डीजीपी के हाटने के बाद कोई ऐसा निर्णय लेने के मूड में नहीं है जिसको लेकर विपक्ष मुद्दा बना सके या जिस मकसद से उलटफेर किया जा रहा है वह पूरा न हो।
1987-88 बैच का आईपीएस बनेगा डीजी
सरकार के सभी मानकों पर खरा उतरने के साथ अगले डीजी बनने के लिए सीनियरिटी के मानक को पूरा करना होगा। नियमानुसार प्रदेश सरकार 1987-88 बैच के अफसरों में से डीजीपी के लिए चुन सकती है। जिन्हें केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। जिसके बाद संघ लोक सेवा आयोग मानक के हिसाब से तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को चुनेगा। जिसमें से किसी एक को डीजीपी नियुक्त किया जाता है।