मुर्दे बनना चाहता है दूल्हा, सेहरा बांध पहुंचा मुख्यालय, आखिर मामला क्या है?

डीएम को दिये पत्रक में कहा 'मैं जिंदा हूं साहब' कुछ करिए, एक ही मांग बैंड भी बजवाओ, मेरी शादी करवाओ...

Update: 2022-01-11 08:41 GMT


पत्रकार रवि प्रकाश सिंह

वाराणसी। जिला मुख्यालय पर उस वक्त सबकी नजरें ठहर गयी जब मुर्दा शादी करने और रोजगार पाने की जिद करने लगा। सिर पे सेहरा बांधे जिलाधिकारी के कार्यालय के आसपास मंडराने लगा। मुर्दे को देख सभी भौचक थे, आखिर कर क्या रहा है। वकीलों के बीच पहुंचकर उसने अपन व्यथा सुनाई। मुर्दे का पहला बयान यही था कि जिस शहर में लोग मरने को सौभाग्य समझते हैं उस शहर में मैं मरने के बाद भी जिंदा हूं लेकिन नकारा सिस्टम उसे जिंदा नहीं कर रहा। जिला प्रशासन से मुर्दे ने गुहार लगायी, कहां मैं कुंवरा कब तक बैठूं, बैंड मेरा बजवाओ, कैसे भी मेरी शादी कराओ। साहब मैं रजिस्टर्ड दामाद बनना चाहता हूं इसी बहाने मैं जिंदा तो हो जाउंगा।

हम बात करे रहे हैं जिंदा होकर भी सरकारी दस्तावेजों में मृत चौबेपुर छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह की। हां, वहीं संतोष जो कभी सिने स्टार नाना पाटेकर का कुक हुआ करता था। लेकिन हालात ने इस कदर मुंह मोड़ा कि वर्तमान में ना तो इसके पास जमीन है ना जोरू ना ही ये जिंदा है। मतलब कि सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर इसकी प्रापर्टी को इसके ही पट्टीदारों ने अपने नाम करा लिया।

ये आरोप संतोष मूरत सिंह का है। संतोष की माने तो वह 20 साल से खुद को जिंदा होने का सबूत दे रहा है। कभी दिल्ली के जंतर मंतर पर अनशन तो कभी वाराणसी में, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। ये बात जरूर है कि जब कोई वीवीआईपी मूवमेंट होता है तो उसे हिरासत में ले लिया जाता है। करीब 60 बार उसे नजरबंद किया गया।

मुंबई में रहने के दौरान उसने शादी कि लेकिन संतोष की माली हालत देख उसकी पत्नी ने भी साथ छोड़ दिया। संतोष की माने तो उसकी जीवन गाथा पर फिल्म भी बनी जिसका नाम था 'कागज' । खैर, असल मुद्दा ये है कि उसे सरकारी फाइलों से कब मौत के मुंह से बाहर निकाला जायेगा ये है। अब तो उसकी उम्मीदें भी दम तोड़ती नजर आ रही है। हालांकि जिलाधिकारी की गैर मौजूदगी में उनके विभाग के अधिकारी ने संतोष मूरत का प्रार्थना पत्र लिया और कार्रवाई का आश्वासन दिया।


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