अब देश की राजनीत में एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहां वरुण गाँधी के कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाये जा रहे है. यह खबर सूत्रों पर आधारित है.
बीजेपी में पिछले काफी समय से मेनका गाँधी और वरुण गांधी नेपथ्य में भेज दिए गये. जहाँ मेनका गाँधी को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया गया जबकि वरुण गाँधी की बात को भी ज्यादा तरजीह नहीं दी गई. अभी हाल में ही लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या पर पीलीभीत के सांसद वरुण गाँधी ने खुलकर विरोध किया. उन्होंने गन्ना की कीमत पर भी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था.
वरुण गाँधी कांग्रेस में शामिल होने की पटकथा के पीछे कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी का बड़ा प्रयास माना जाएगा. कांग्रेस में वरुण गाँधी के शामिल होने से यूपी में एक नई राह खुलेगी . प्रियंका गाँधी और वरुण गाँधी के आपसी रिश्ते हमेशा ठीक रहे.
यूपी में फिलहाल कांग्रेस ने बीजेपी की कार्यशैली का विरोध करके यूपी की जनता में अपनी पहचान बना ली है. पिछले काफी समय से कांग्रेस यूपी में अपनी खोई हुई जमीन नहीं वापस कर पा रही है. हालांकि २००९ में कांग्रेस ने बीस लोकसभा सीटें जीतकर यूपी में मजबूती दिखाई थी लेकिन उसको वो फिर सहेज नहीं सकी.
कांग्रेस के यूपी में अंतिम मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी भी कांग्रेस की जमीन को अपने जीते जीते जी हरा भरा नहीं कर सके. लेकिन उसके बाद लगातार कांग्रेस की सीटें घटती गई. पिछले विधानसभा चुनाव में तो सपा से गठबंधन करके भी केवल सात सीट पर सिमट गई. उससे पहले कांग्रेस बसपा से भी गबंधन कर चुकी है.
इस समय वरुण गाँधी बीजेपी के पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से सांसद है और उनकी माँ मेनका गाँधी बीजेपी से सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद है. सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र संजय गाँधी की कर्मभूमि मानी जाती है.
अभी यह खबर सूत्रों पर आधारित है लेकिन जबसे वरुण गाँधी बीजेपी के नाराज हो गए है तबसे सभी राजनैतिक पंडित उनके कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगा रहे है. शायद इसकी परणित जल्दी सामने आएगी. सिख बनाम हिंदू बने प्रकरण में पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में सिख वोट बड़ी तादात में है.