भगवान शंकर के आभूषणों का अर्थ क्या है ?
आखिर क्यों हैं उनके हाथ में त्रिशूल, क्यों बंधा है इससे डमरू, उनके गले में सांप क्यों लटका है . . .
शिव जी के रूप को देखकर एक अलौलिक अनुभव होता है। इसी के साथ यह सवाल भी मन में उठते हैं कि कुछ खास चीजों को महादेव क्यों धारण करते हैं। आखिर क्यों हैं उनके हाथ में त्रिशूल, क्यों बंधा है इससे डमरू, उनके गले में सांप क्यों लटका है . . .
त्रिशूल:- शिव जी का त्रिशूल तीन शक्तियों का प्रतीक है और ये हैं- ज्ञान, इच्छा और परिपालन।
डमरू:- शिव जी के त्रिशूल से बंधा डमरू वेदों और उन उपदेशों की ध्वनि का प्रतीक है जो भगवान ने हमें जीवन की राह दिखाने के लिए दिए हैं।
रुद्राक्ष माला:- शिवजी ने रुद्राक्ष धारण किया है जो प्रतीक होता है शुद्धता का। शिवजी अपने दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला पकड़े दिखते हैं, यह ध्यान मुद्रा का सूचक है।
गले में नाग:- शिव जी के गले में लटका नाग पुरुष के अहम का प्रतीक है।
सिर पर चांद:- शूंभनाथ के सिर पर सजा चांद बताता है कि काल पूरी तरह उनके बस में है।
जटाओं में गंगा:- शिवजी की जटाओं में अक्सर एक चेहरा बंधा दिखता है, वह दरअसल गंगा नदी है।
माथे पर तीसरा नेत्र:- शिवजी के माथे पर जो तीसरा नेत्र नजर आता है, उसे ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि उनके क्रोधित होने पर ही यह खुलता है और सब कुछ भस्म कर देता है। वैसे इसकी शक्ति बुराइयों और अज्ञानता को खत्म करने का सूचक मानी जाती है।
बाघ की खाल:- शिवजी की तमाम तस्वीरों में नजर आता है कि वे बाघ की खाल ओढ़े हैं या फिर वे इस पर विराजमान हैं। यह निडरता और निर्भयता का प्रतीक है।