देश द्रोही कौन है ?
रामदेव के काले धन के समांतर एक और मंच सजने लगा जिसने विवेकानंद फाउंडेशन से लेकर यूथ फॉर इक्वालिटी के लोग प्रधानमंत्री तक को जेल भेजने वाले जनलोकपाल की नियुक्ति पर बल देने लगे
प्रशांत किशोर उर्फ PK,
विनोद राय,
सुब्रमण्यम स्वामी,
अरविंद केजरीवाल,
किसन बाबूराव उर्फ अन्ना हजारे,
रामकृष्ण यादव उर्फ राम देव,
मनीष सिसौदिया,
किरण बेदी,
रवि शंकर उर्फ श्री श्री रविशंकर
ये कुछ नाम है,
जिन्होंने एक अच्छी भली, विकास की पटरियों पर दौड़ती, अर्थव्यवस्था के चरम को छूने को बेकरार सरकार को गिराने के लिए, उसे बदनाम किया, उसे भ्रष्टाचारी बताने के लिए उसे एक जामा पहनाया,फिर रोजाना मीडिया के हवाले से जिस तरह से सरकार को बदनाम किया, उसके फैसलों को चुन चुनकर गलत बताया, फिर सरकार में नियुक्त उस समय के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने भी अपनी रिपोर्ट में कुछ अनिमित्तायों की ओर इशारा किया जो बाद में कोरी कल्पना निकली.. लेकिन विनोद राय के दफ्तर से जो तीर निकला वे सही निशाने पर जा लगा।
अब ये मौका जो विनोद राय ने दिया था या उस समय के नये आंदोलनजीवियों ने लपक लिया जिसका शायद उन्हें इंतजार भर था।
अब विदेशों में काले धन की सूचियों के मनघड़ंत आंकड़े मीडिया में छपने लगे, बाबा रामदेव ने तो पतंजलि योगपीठ में बैठकर कुछ पोथियां निकली जिसमे कोई पच्चीस हजार लाख करोड़ का काला धन विदेशों में होने का दावा ठोका गया।
बिलकुल रामदेव के काले धन के समांतर एक और मंच सजने लगा जिसने विवेकानंद फाउंडेशन से लेकर यूथ फॉर इक्वालिटी के लोग प्रधानमंत्री तक को जेल भेजने वाले जनलोकपाल की नियुक्ति पर बल देने लगे।
अन्ना हजारे के बराबर का भूख हड़ताली कभी किसी ने पहले देखा नही था, सो एक नया ड्रामा मीडिया को टीआरपी बढ़ाने के लिए मिल गया।
लेकिन आज वे जो विकास कीर्तिमान स्थापित करती सरकार की गति को पहले कुंद किया फिर उसे बदनाम कर गिराया गया ओर इस आंदोलन से जो सरकार केंद्र में पहुंची उसने जांच बैठाई तो आंदोलनकारियों के तमाम झूठ सामने आये।
ना आज तक कोई काला धन आया,ना कोई जनलोकपाल ही आया जो मंत्री समेत प्रधानमंत्री तक को जेल डाल सकता था।
अब जो लोकपाल मांग रहे थे, वे राज्य सरकार में सत्ता में मुख्यमंत्री है लेकिन कोई लोकपाल नही है।
ओर जिनके लिए ये सारे प्रयास किए वे प्रधानमंत्री है, पर्दे के पीछे दोनों सगे भाई है नागपुर की A व B टीम लेकिन अखबारों, खबरों में दोनों एक दूसरे को गाली देकर जनता को मूर्ख बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री केजरीवाल अब बता रहा है कि उसके पास शक्तियां नही है। लेकिन जनलोकपाल नही मांग रहा। प्रधानमंत्री निरंतर सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप रहा है।
अब ना अन्ना हजारे को कुछ दिख रहा है,
ना रामदेव को ही। रेलवे, बंदरगाह, हवाई अड्डे, राजमार्ग, शिक्षा संस्थान सब बिक रहे हैं लाल किला तक निजी हाथों में दे दिया गया है.. जबकि जिन्हे सौंपा है उनके पास हैरिटेज बिल्डिंग के रखरखाव का कोई अनुभव तक नही है।
लेकिन देश द्रोही कौन है ?
जो इनकी पोल खोलेगा,
जो इनको आइना दिखाएगा।
- ललितम नय्यर