बात तीन साल पहले की है। 19 नवंबर 2019 को अरुणाचल प्रदेश से बीजेपी के सांसद तापिर गाओ ने शून्यकाल में चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए कहा था- "कहीं और डोकलाम होगा तो वो अरुणाचल प्रदेश में होगा।" उन्होंने चीनी सैनिकों के 50-60 किमी तक भारतीय सीमा में घुस आने की बात संसद में बतलायी थी। तापिर गाओ ने इस बात पर भी दुख जताया था कि जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में घुसपैठ की खबरों पर चर्चा तो होती है लेकिन अरुणाचल प्रदेश में हो रहे घुसपैठ पर खामोशी रहती है।
दो साल बाद नवंबर 2021 में अमेरिका रक्षा मंत्रालय की जारी रिपोर्ट में खुलासा होता है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में गांव बसा लिया है। बीजेपी सांसद तापिर गाओ की बात सच होती है। लेकिन, केंद्र सरकार में कोई बेचैनी नहीं दिखती। विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यह कहने भर की होती है कि चीन अपने कब्जे वाले इलाके में ऐसा दशकों से करता रहा है। तत्कालीन सीडीएस विपिन रावत ने तो पूरी रिपोर्ट ही सिरे से खारिज कर दी थी।
अब 13 दिसंबर 2022 को तवांग इलाके में 'हाथापाई' की बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में स्वीकार की है। जबकि, घटना 9 दिसंबर 2022 की है। विपक्ष का कहना है कि अगर घटना मीडिया में नहीं आयी होती तो केंद्र सरकार इसे भी छिपा ले जाती। संसद में विपक्ष को बोलने का अवसर देने के बजाए स्पीकर सदन से सेना की बहादुरी की तारीफ में बयान पारित कराने की बात करते नजर आए। सीमा की सुरक्षा को लेकर देश को आश्वस्त करने के लिए कोई तथ्य मोदी सरकार सामने लेकर नहीं आयी।
चीन के बजाए गृहमंत्री ने कांग्रेस को घेरा
आश्चर्यजनक तरीके से रक्षा मंत्री के बजाए केंद्रीय गृहमंत्री रक्षा मामलों पर प्रेस कान्फ्रेन्स करते नज़र आए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि "भारत की एक इंच ज़मीन पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता है।" गृहमंत्री अमित शाह ने 19 जून 2020 में दिए गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की याद ताजा कर दी है। तब पीएम मोदी ने कहा था-"न कोई भारत की सीमा में घुसा है, न घुसा हुआ है।"
एचएम और पीएम के इन बयानों की खासियत यह है कि इससे चीन की आक्रामकता का बचाव होता है। ऐसा लगता है जैसे चीन ने जिस जमीन पर कब्जा किया है, गांव बसाए हैं या फिर जिस गलवान घाटी में संघर्ष हुआ था और हमारे जवानों ने शहादत दी थी, वे भारत की ज़मीन नहीं थी। सच यह है कि विवादित क्षेत्र पर चीन की ओर से यथास्थिति तोड़ना ही भारतीय हितों के खिलाफ है। इस पर न प्रधानमत्री कुछ बोल पा रहे हैं न गृहमंत्री या रक्षा मंत्री ही।
गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस से जानना चाहा है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से चंदा क्यों लिया था? इसके अलावा भी उन्होंने कांग्रेस से कई सवाल पूछे-
• 2006 में भारत में चीन के दूतावास ने पूरे अरुणाचल प्रदेश और नेफा पर अपना दावा किया था। क्या कांग्रेस ने कभी इस पर शोध किया? केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी।
• गलवान के वक्त चीन के अधिकारियों को रात्रि भोज कौन दे रहा था?
• नेहरूजी के चीन प्रेम के कारण भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता बलि चढ़ गयी।
• 1962 में हजारों एकड़ भूमि चीन ने हड़प ली। इस पर कांग्रेस का रिसर्च कहां है?
कांग्रेस ने बीजेपी पर जवाबी हमला बोला
कांग्रेस की ओर से पवन खेड़ा, अरुण गोगोई और सतीश पूनिया ने प्रेस कान्फ्रेन्स कर गृहमंत्री अमित शाह के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में अरुणाचल प्रदेश को 20 फरवरी 1987 के दिन पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था। वहीं मोदी-जिनपिंग के बीच 18 मुलाकातों के बावजूद कभी डोकलाम, कभी गलवान तो कभी तवांग की घटनाएं घट रही हैं तो क्यों? कांग्रेस ने बीजेपी से एक के बाद एक कई सवाल पूछे-
• विदेश मंत्री एस जयशंकर के बेटे ध्रुव जयशंकर से जुड़ी विदेश नीति थिंक टैंक, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) को चीनी दूतावास से फंडिंग पर जवाब दे बीजेपी।
• चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से से शिक्षा लेने के लिए बीजेपी के नेता क्यों जाते रहे हैं चीन?
• राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा दिया गया इकॉनोमिक टाइम्स में सुधार के लिए। इंडिया फाउंडेशन और विवेकानन्द फाउंडेशन के साथ चीन के क्या संबंध हैं? अजित डोवाल से पूछकर बीजेपी खुलासा करे।
• बीजेपी और सीपीसी ने क्यों ग्लोबल अलायंस बनाने के एएमयू पर हस्ताक्षर किए?
• पीएम केयर फंड में किन-किन चीनी कंपनियों ने पैसे दिए, इसका खुलासा करे बीजेपी।
• संवेदनशील सीमावर्ती प्रदेश जम्मू-कश्मीर में स्मार्ट मीटर का ठेका डॉगफैंग नामक चीनी कंपनी को क्यों दिया गया जिस पर विश्व बैंक, यूरोप, पेंटागन तक ने पाबंदी लगा रखी है?
• गुजरात के धोलैरा में 43 हजार करोड़ के एमओयू चीन की कंपनी के साथ किसने साइन किए?
• ग्लोबल टाइम्स लिखता है – "अगर मोदीजी गुजरात हार जाएंगे तो चीन को बड़ा नुकसान होगा।" चीन के साथ मोदीजी का यह संबंध क्या कहलाता है?
अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीन की ललचाई नज़र है। लेकिन, देश का सत्ताधारी दल और विपक्ष एक-दूसरे पर हमलावर है। इससे पहले हमेशा बीजेपी हमलावर हुआ करती थी कांग्रेस पर। मगर, इस बार कांग्रेस ने भी जवाब दिया है। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते और देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ संबंधों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उंगली उठाई है कि वे अपने मुंह से चीन का नाम तक नहीं लेते।
एनएसए अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर के पुत्र की कंपनियों को चीन से मिल रहे डोनेशन का सवाल उठाकर भी बड़ा विमर्श कांग्रस ने छेड़ दिया है। यहां तक कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और बीजेपी के बीच एमओयू का सवाल उठाकर बीजेपी के उन सवालों का जवाब दिया है जिसमें कांग्रेस को चीन परस्त बताया जाता रहा है। मगर, सबसे बड़ा सवाल है कि क्या सीमा की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील होगी मोदी सरकार? क्या बदलेगा सरकार का रुख? क्या चीन के खिलाफ मुंह खोलेंगे पीएम मोदी?