स्कूलों में पढ़ाने वाले विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी को खत्म करने के लिए प्रस्तावित चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड (बैचलर आफ एजुकेशन) कोर्स शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। छात्र अब 12वीं की पढ़ाई पूरी करने बाद ही बीए-बीएड और बीएससी-बीएड जैसे कोर्सो में दाखिला ले सकेंगे। इससे छात्रों का एक साल का समय भी बचेगा। साथ ही शिक्षण के क्षेत्र में शुरू से रुचि रखने के कारण आगे और फोकस होकर बेहतर काम कर सकेंगे।
N K Singh
छात्रों को अभी बीएड करने के लिए पहले बीए या बीएससी जैसे कोर्स करने पड़ते हैं, जिनमें तीन साल का समय लगता है। इसके अलावा बीएड भी दो साल होता है। उन्हें इन दोनों कोर्सों को करने के लिए पांच साल का समय लगता है। ऐसे में शुरू से ही यदि कोई छात्र इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स में दाखिला लेता है, तो उसका एक साल का समय बचेगा। शिक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इस कोर्स को शुरू करने की तैयारी तेज कर दी है।
जो संकेत मिले हैं, उसके मुताबिक अगले एक-दो दिनों में ही इसकी अधिसूचना भी जारी हो जाएगी। हालांकि एनसीटीई ने अभी इस कोर्स को देश के कुछ चुनिंदा संस्थानों से ही शुरू करने की योजना बनाई है। इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के करीब 50 संस्थानों को शामिल किया जा सकता है। इसको लेकर हालांकि अभी मंथन चल रहा है। लेकिन एनसीटीई शुरुआत में इसे सीमित दायरे में रखना चाहता है।
एनटीसीई ने तेज की तैयारी, नए पाठ्यक्रम में छात्रों को 12वीं के बाद ही मिलेगा दाखिला
एनसीटीई से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इस कोर्स को इसी शैक्षणिक सत्र से शुरू किया जाए या फिर इसके लिए नए सत्र का इंतजार किया जाए, इस पर भी मंथन चल रहा है। जरूरत पड़ने पर इस पर सुप्रीम कोर्ट से भी मार्गदर्शन लेने की योजना है। यह योजना इसलिए बनाई गई है, क्योंकि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में एनसीटीई को शैक्षणिक सत्र के बीच में होने वाले किसी बदलाव के लिए अनुमति जरूरी बताया था। हालांकि इस कोर्स को लेकर एनसीटीई बहुत ज्यादा उत्साहित है। उसके मुताबिक इससे स्कूलों में गणित, विज्ञान व कामर्स जैसे विषयों के शिक्षकों की कमी खत्म हो जाएगी।
मौजूदा समय में स्कूलों में गणित, विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षकों की भारी कमी है। वैसे भी जो छात्र अभी बीएससी में दाखिला लेते हैं, वे आगे चलकर उच्च शिक्षा की ओर बढ़ जाते हैं। ऐसे में उनका फोकस स्कूल शिक्षक बनने को लेकर नहीं रहता है। इतना ही नहीं, शिक्षक पेशे की ओर मेधावी और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को आकर्षित करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का भी सुझाव दिया गया है।