याद तुम्हारी - प्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वरी तिवारी

जैसे कोई किरण अकेली पर्वत पार करे लौट रही गायों के...

Update: 2021-06-26 08:22 GMT

याद तुम्हारी

जैसे कोई कंचन कलश भरे

जैसे कोई किरण अकेली

पर्वत पार करे

लौट रही गायों के

सँग-सँग

याद तुम्हारी आती

और धूल के

सँग-सँग

मेरे माथे को छू जाती

दर्पण में अपनी ही छाया-सी

रह-रह उभरे

जैसे कोई हंस अकेला

आँगन में उतरे

जब इकला कपोत का

जोड़ा

कँगनी पर आ जाए

दूर चिनारों के

वन से

कोई वंशी स्वर आए

सो जाता सूखी टहनी पर

अपने अधर धरे

लगता जैसे रीते घट से

कोई प्यास हरे...

- माहेश्वरी तिवारी

  (प्रसिद्ध नवगीतकार, यश भारती पुरस्कार से सम्मानित)

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