अयोध्या राम मंदिर: सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई का छठा दिन, रामलला के वकील ने रखे महत्व पूर्ण तथ्य
नई दिल्ली। संविधान पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू यह मामले में दिन-प्रतिदिन की सुनवाई का आज छठा दिन है। मंगलवार की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं और आज भी वह ही अपनी बात आगे बढ़ा रहे हैं. इस दौरान अदालत ने एक बार फिर रामलला पक्ष से जन्मभूमि पर कब्जे के सबूत मांगे थे। रामलला विराजमान से पहले निर्मोही अखाड़ा अपने तर्क अदालत में रख चुका है।
रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी आज दलीलें रख रहे
रामलला के वकील के द्वारा स्कन्द पुराण का जिक्र किए जाने पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जिन शब्दों का जिक्र कर रहे हैं, उनमें रामजन्मभूमि के दर्शन का जिक्र है. इसमें किसी देवता का जिक्र नहीं है. जिसपर वकील वैद्यनाथन ने कहा कि रामजन्मभूमि ही अपने आप में देवता है।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. रामलला विराजमान की तरफ से सीएस. वैद्यनाथन अपनी दलीलें रख रहे हैं, उन्होंने अदालत के सामने पुराणों का हवाला देना शुरू किया है. मंगलवार को राजीव धवन ने कहा था कि रामलला के वकील सिर्फ अदालत के फैसले को पढ़ रहे हैं, कोई तथ्य नहीं दे रहे हैं. जिसके बाद अब उन्होंने पुराणों का जिक्र करना शुरू किया है।
रामलला के वकील की तरफ से अदालत में स्कन्द पुराण का जिक्र किया गया है. उन्होंने इस दौरान सरयू नदी-राम जन्मभूमि के इतिहास और महत्व के बारे में बताया.
दलीलों में छाए रहे ऐतिहासिक तथ्य
रामलला विराजमान की तरफ से दलीलें रख रहे सी. एस. वैद्यनाथन ने कई बार अदालत में ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इतिहास से जुड़ी कई रिपोर्ट्स में इस बात को माना गया है कि वहां पर मस्जिद से पहले मंदिर था । इसके अलावा उन्होंने तर्क दिया कि बाहरी लोगों ने मंदिर को तोड़ा और मस्जिद बनाई थी. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये मस्जिद बाबर ने ही बनवाई थी।
आपको बता दें कि 6 अगस्त से अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई है। रोजाना सुनवाई के तहत हफ्ते में तीन दिन मंगल-बुध-गुरुवार को मामला सुना जाता है। लेकिन 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि वह हफ्ते में पांच दिन इस मामले को सुनेगा। अब हर हफ्ते सोमवार से शुक्रवार तक केस की सुनवाई अदालत में होगी। जिसको लेकर मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील राजीव धवन ने एक अपील की थी जिसमें उन्होंने हफ्ते में पांच दिन तक सुनवाई का विरोध किया था. राजीव धवन ने अदालत से कहा कि ये सिर्फ एक हफ्ते का मामला नहीं है, बल्कि लंबे समय तक चलने वाला केस है. उन्होंने कहा कि हमें दिन-रात अनुवाद के कागज पढ़ने होते हैं और अन्य तैयारियां करनी पड़ती हैं।