पहले चरण के मतदान के बीच राकेश टिकैत ने रिजल्ट किया घोषित, नतीजे पर कह दी ये बात
राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि मुजफ्फरनगर में शांति ने 2013 की स्थिति की जगह ले ली है और इस बार चुनाव के नतीजे अलग होंगे...
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग के बीच ही किसान नेता राकेश टिकैत ने रिजल्ट का भी ऐलान कर दिया है। राकेश टिकैत ने आज गुरुवार 10 फरवरी को कहा कि मुजफ्फरनगर में शांति ने 2013 की स्थिति की जगह ले ली है और इस बार चुनाव के नतीजे अलग होंगे। गौरतलब है कि 2013 में हुए दंगों के बाद पिछले चुनाव में भाजपा को भारी सफलता मिली थी। इस बार के चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की तरफ से दंगों को बार-बार मुद्दा भी बनाने की कोशिश की गई।
बता दें कि 2013 में मुजफ्फरनगर जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों का जिक्र करते हुए भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 2013 का परिणाम एक ट्रायल था। उस ट्रायल के स्टेडियम को ही इस बार ध्वस्त कर दिया गया है। जिन स्टेडियमों में ये मैच खेले गए थे, वह अब ध्वस्त हो चुके हैं।
जिले में वोट डालने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पूर्व स्थिति की जगह शांति ने ले ली है और इस बार नतीजे पहले जैसे नहीं होंगे। जिसके बाद यह पूछे जाने पर कि क्या नया मैच खेला जा रहा है। टिकैत ने कहा कि नया मैच पहले ही खेला जा चुका है और इसका परिणाम दिखाई देगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पहले लखीमपुर हिंसा में गिरफ्तार केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत मिलने पर भी उन्होंने उंगली उठाई। राकेश टिकैत ने कहा कि वह इस बात को यूपी में बीजेपी के खिलाफ प्रचारित करेंगे। उन्होंने गंभीर मामले में जल्दी जमानत मिलने की बात कहकर कहा कि कोई आम आदमी होता तो क्या इतनी जल्दी बेल मिलती?
राकेश टिकैत ने टीवी चैनल एबीपी से फोन पर कहा कि कोर्ट पर क्या कह सकते हैं, बेल दे दी। हमारा तो यह कहना है कि 302 के इतने गंभीर मामले में दूसरे लोगों को भी बेल मिली हो तो ठीक है, नहीं मिली हो तो देख लो। चुनाव में इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा कि हां हमारा प्रचार यह रहेगा। क्यों नहीं रहेगा। इतनी जल्दी कौन से तथ्य सामने आ गए, इतनी जल्दी किसी और को जमानत मिलती हो इस तरह के केस में तो देखने वाले तथ्य हैं।
आगे राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के पास इतने बड़े वकील तो हैं नहीं, ये बड़े आदमी हैं, इनके साथ सरकार और वकील खड़ी कर सकती है। तो मिल गई होगी, कोर्ट तो तथ्य के आधार पर चलती है, उस तरह की दलील दी होगी। किसानों की कौन पैरवी करेगा। इनके साथ तो शायद 32 वकील थे।