मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका खारिज, सीतापुर कोर्ट ने 14 दिन न्यायिक हिरासत में भेजा
ऑल्ट न्यूज धारा आठ के अंतर्गत एक कंपनी के तहत चलता है. वे कह रहे हैं कि मैं पत्रकार हूं, मैं एफसीआरए नहीं ले सकता. यह कंपनी के लिए है न कि मेरे लिए. यह मेरे खाते में नहीं गया.’’ जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत से कहा कि पुलिस द्वारा जब्त किया गया फोन उस समय का नहीं है, जब उन्होंने ट्वीट किया था.
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश की सीतापुर कोर्ट ने AltNews के संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. दिल्ली पुलिस ने शनिवार को कहा कि यहां की एक अदालत ने ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका खारिज कर दी है. हालांकि, जुबैर के वकील सौतिक बनर्जी ने कहा कि अब तक कोई आदेश नहीं सुनाया गया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने 14 दिन की रिमांड की उसकी अर्जी को स्वीकार कर लिया है. पुलिस ने कहा कि रिमांड की जरूरत है क्योंकि आगे की जांच चल रही है.
वृंदा ग्रोवर में ने दाखिल की जमानत याचिका
पुलिस ने पांच दिन तक हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अवधि पूरी होने के बाद जुबैर को अदालत के समक्ष पेश किया और उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध किया. पुलिस की अर्जी के बाद जुबैर ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका पेश की. पुलिस की याचिका के बाद आरोपी की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने इस आधार पर अदालत में जमानत याचिका दाखिल की कि उनके मुवक्किल से अब पूछताछ की आवश्यकता नहीं है.
फोन के बारे में वकील ने दी सफाई
उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी को आरोपी की और हिरासत की आवश्यकता पड़ सकती है और वह आवेदन दायर कर सकती है क्योंकि मामले में जांच पूरी नहीं हुई है. वकील ने कहा, ''मैं (जुबैर) यह बयान दे रहा हूं कि मैं पैसे नहीं ले रहा था. यह कंपनी थी. ऑल्ट न्यूज धारा आठ के अंतर्गत एक कंपनी के तहत चलता है. वे कह रहे हैं कि मैं पत्रकार हूं, मैं एफसीआरए नहीं ले सकता. यह कंपनी के लिए है न कि मेरे लिए. यह मेरे खाते में नहीं गया.'' जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत से कहा कि पुलिस द्वारा जब्त किया गया फोन उस समय का नहीं है, जब उन्होंने ट्वीट किया था. उन्होंने कहा, ''ट्वीट 2018 का है और यह फोन मैं (जुबैर) इस समय इस्तेमाल कर रहा हूं. मैंने ट्वीट करने से इनकार भी नहीं किया है.''
जुबैर ने 1983 की एक फिल्म का दृश्य किया था ट्वीट
उन्होंने दोहराया कि जुबैर ने अपने ट्वीट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया, वह 1983 में आयी ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'किसी से न कहना' का एक दृश्य है. उन्होंने कहा, ''यह एक हास्य फिल्म है. एक प्रख्यात निर्देशक द्वारा रचा गया पूरी तरह हास्य वाला दृश्य. इसे यह कहकर हटाया गया कि इससे सार्वजनिक शांति भंग होगी लेकिन ये ट्वीट्स अब भी ट्विटर पर हैं. ट्विटर को इसे हटाने के कोई निर्देश नहीं दिए गए. इस फिल्म से 40 वर्ष तक कोई शांति भंग नहीं हुई.''