UP : कोरोना से दो पत्रकारों की मौत
उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना से संक्रमण के 15,353 नए मामले सामने आए हैं।
देश में कोरोना वायरस के केस तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में कई राज्यों ने लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू, बाहर से आने वाले नागरिकों के टेस्ट और शादी समारोह में जुटने वाली भीड़ को लेकर कई कदम उठाए हैं। दिल्ली सहित कई राज्यों में शादी समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों की संख्या सीमित कर दी है। यूपी में कोरोना के बढ़ते मरीजों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य के ऐसे सभी जिलों में जहां ऐक्टिव केस 500 से ज्यादा हैं, वहां अब नाइट कर्फ्यू लागू किया जाएगा। फिलहाल 30 अप्रैल तक नाइट कर्फ्यू लगाने के आदेश हैं। इसके अलावा 1 से 12 वीं तक के सभी स्कूल भी 30 अप्रैल तक बंद रहेंगे। उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना से संक्रमण के 15,353 नए मामले सामने आए हैं।
यूपी में दो पत्रकारों की मौत
कौशाम्बी में आज तक के पत्रकार शिवनंदन शाहू का हुआ निधन। सांस लेने में दिक्कत के चलते अस्पताल में कराया गया था भर्ती। प्रयागराज के एसआरएन में हुई मौत। आज तक के जिला संवाददाता शिव नंदन साहू कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनको बुखार और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। कल शाम को जिला अस्पताल मँझनपुर में भर्ती करवाया गया था। उपचार के बाद एसआरएन प्रयागराज रेफर किया गया था जहाँ अस्पताल के बाहर ही मौत हो गई। जिले में सबको प्यार और इज्जत देते थे। शिव नंदन कौशाम्बी जिले के दारानगर नगर पंचायत के रहने वाले थे। इन्होंने कई चैनलों में काम किया था।
बनारस : हिन्दुस्तान टाइम्स के मीडिया मार्केटिंग हेड मनीष श्रीवास्तव जी असमय ही हम सब को छोड़कर परलोक सिधार गये। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। पचास वर्षीय मनीष कोरोना से पीड़ित थे।
मनीष की मौत पर श्रीष सिन्हा की ये टिप्पणी पढ़ें-
एक हँसता मुस्कुराता चेहरा छीन ले गया कोरोना। सिस्टम की दुर्दशा,संस्थान की उदासीनता और काल की गति ने उसे अनन्त यात्रा पर भेज दिया । टारगेट और क्लोजिंग के लोभी संस्थान ने जरा भी ध्यान नहीँ दिया और अस्वस्थता की दशा मेँ भी काम मेँ जोते रहे ।इतना ही नहीँ,एडमिट होने की नौबत आने पर जब बनारस मेँ किसी सरकारी – प्राइवेट हॉस्पिटल मेँ जगह नहीँ मिल रही थी,उसकी टीम के साथियोँ ने सक्षम अधिकारियों को बीसियों फ़ोन किये,लेकिन बड़े बड़े लोगों ने रिस्पॉन्ड तक नहीँ किया ।पूरे शहर मेँ कहीँ भी remdesivir नहीँ मिली ।ठीक है कि काल गति को कोई नहीँ रोक सकता,लेकिन मानवीय संवेदनाएं भी प्रोफेशनलिज्म की भेँट चढ़ मर जाएँ, ये तो और भी दुःखद है ।
हमारे सबसे बड़े मामा जी का सबसे छोटा 48 वर्षीय बेटा, हिंदुस्तान अखबार का डिप्टी मैनेजर,हँसमुख, मिलनसार,हर हाल मेँ खुशहाल,सद्भावी व्यक्तित्व सबको रोता छोड़ चला गया,फिर कभी न आने के लिए ।अभी दिसंबर मेँ ही अपनी बड़ी बेटी के विवाह को पूरे उमंग उत्साह के साथ सम्पन्न कर,उस खुशी से अभी बाहर भी नहीँ आ पाया था,की पूरे परिवार को बिलखता छोड़ गया। मानवीय भावनाओं से ओत प्रोत अपने साथियोँ मेँ अत्यधिक लोकप्रिय इंसान के अँतिम सँस्कार मेँ भी मात्र 10 लोग ही सम्मिलित हो सके।