यूपी सरकार का 69000 सहायक अध्यापक भर्ती पर बयान...
उत्तर प्रदेश सरकार के भ्रामक आंकड़े हर कोई पहचान सकता है
उत्तर प्रदेश : पिछले कई दिनों से लखनऊ में अभ्यर्थी 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में हुए आरक्षण को लेकर विरोध कर रहे हैं । इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आरक्षण को लेकर स्पष्टीकरण आया है जिसमें कहा गया है कि,
69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया में जनपदवार अनारक्षित श्रेणी के 34,589, अन्य पिछड़ा वर्ग के 18,598, अनुसूचित जाति के 14,459 व अनुसूचित जनजाति के 1,354 पद थे।
इनमें अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आरक्षणवार निर्धारित पदों की संख्या 18,598 के सापेक्ष 31,228 अभ्यर्थियों का चयन किया गया।
इसी तरह अनुसूचित जाति श्रेणी के तहत आरक्षणवार निर्धारित पदों की संख्या 14,459 के सापेक्ष 17,260 अभ्यर्थियों का चयन हुआ।
ट्विटर पर एक अभ्यर्थी आशीष यादव ने लिखा कि "सरकार ने एहसान नहीं किया है , 50% खुली सीटों पे ओबीसी/एससी के मेधावी छात्रों को जाने से रोका है 27% की जगह 77% ले सकते हैं obc , गुमराह करना बन्द करो, आयोग को जबाव दे नहीं पा रहे हो और यहां लोगो को मूर्ख बना रहे हो । हिम्मत है तो जबाव दो लुका छिपी का खेल मत खेलो"
पंकज निषद लिखते हैं - "अभ्यर्थियों के अंक क्यों छिपा रहे हो ? सबके अंक सार्वजनिक करने में किस बात का डर है, किस चीज की पर्देदारी है ? अंक सार्वजनिक करो, अगर बेईमानी नहीं हुई होगी तो पढ़े लिखे अभ्यर्थी हैं विरोध प्रदर्शन स्वयं बन्द कर देंगे।"
सचिव कुमार ने कहा - "अगर सब कुछ सही है तो पिछड़ा वर्ग आयोग में जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है , मंत्री जी ने 4 दिन का समय मांगा था पर 16 दिनों के बाद न तो जवाब दिया न तो बात कर रहे है, अगर सब कुछ सही है तो जवाब दाखिल कर और 27% और 21% के नीचे कितने अभ्यर्थी है डाटा दिखाओ। पिछली सरकारों की भर्तियों में सबके अंक सार्वजनिक किए जाते थे।"
मनोज चौरसिया लिखते हैं - अब तक तो शिक्षा मंत्री,,ही झूठ बोल रहे थे,अब आप भी झूठ बोलने लगे , 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले में,व,शिक्षा मंत्री के भाई के ews फ़र्ज़ी मार्कशीट और प्रोफेसर नियुक्ति मामला पूरा प्रदेश देख लिया है, माननीय मुख्यमंत्री जी आप भी अब झूठ बोलने लगे।"