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बिहार में एनडीए की सरकार दुबारा बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शनिवार को दूसरा दौरा था. पिछले बार कुछ समय के लिये बाढ ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वैक्षण करने के लिये बिहार आये मोदी जी ने ना कोई आम जनता से मुलाकात की थी और ना ही मीडिया से कोई बात , लेकिन शनिवार को एक दिवसीय बिहार दौरे में मोदी ने दो कार्यक्रम में शिरकत किया पहला पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में तो दूसरा मोकामा में करीब 38सौ करोड़ की केन्द्रीय योजनाओं का शिलान्यास.
हालांकि इन दोनो कार्यक्रमो से बिहार सरकार अलग थी लेकिन मुख्य मंत्री होने के नाते और खासकर पटना विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र होने के नाते शताब्दी समारोह के मंच पर भी नीतीश अग्रणी भूमिका में दिखे. इन दोनों कार्यक्रमो को लेकर पिछले एक सप्ताह से बिहार की सियासत काफी गर्म थी. पी एम आयेगें तो पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलेगा तो बिहार को अन्य कई तोहफे मिलेगें की चर्चा थी. लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत पटना विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में नीतीश जी ने पी एम के सामने केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाने का आग्रह भी किया जिससे वहां मौजूद लोगो ने जोरदार ढंग से समर्थन भी किया और नीतीश हीरो की तरह दिखे. लेकिन नरेन्द्र मोदी ने उनकी आशाओं पर तत्काल पानी फेर दिया.
हालांकि पी एम के इस रवैये से उनके समर्थको और बिहार वासियो को निराशा हुई लेकिन इसका लाभ नीतीश को मिला. नीतीश के खिलाफ बोलने वोलने वाले उनके आलोचक भी नीतीश के पक्ष में दिखे और नीतीश के प्रति लोगो की सहानुभूति बढ़ी कि बिहार के विकास के प्रति चिंतित सी एम अपमान सहने को भी तैयार है. दूसरा कार्यक्रम मोकामा में था. हालांकि यह कार्यक्रम भारत सरकार का था लेकिन इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये भाजपाकी प्रदेश इकाई ने भी जी जान लगा दिया था. भाजपा के अधिकांश मंत्री और विधायक बेगूसराय , खगड़िया , भागलपुर , जमुई , मुंगेर , लखीसराय , पटना , के अलावा अन्य जिलों में दिन रात मिहनत कर भारी संख्या में अपने समर्थको को सभा स्थल पर पहुंचाया. इसका असर भी दिखा. 20 से 25 हजार की संख्या वाला पंडाल तो पूरी तरह भरा था ही सडको के किनारे दूर दूर तक लोग थे. इतना ही नही भाजपा के झंडे और बैनर से पूरा परिसर पट गया था तो अंदर मे मोदी - मोदी के नारे लग रहे थे. मंच और मंच के बाहर भाजपा कोटे के लगभग अधिकांश केन्द्रीय मंत्री , नीतीश कैबिनेट के मंत्री विधायक और प्रदेश के नेता मौजूद थे. तो दूसरी ओर जद यू के गिनती के नेता और समर्थक . कार्यक्रम के काफी विलंब होने के कारण लोग पीएम का भाषण सुनने को बेताव थे .
यही वजह थी कि सुशील मोदी और रामविलास पासवान ने बिल्कुल संक्षेप में भाषण दिया तो केन्द्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने भी केवल योजनाओं की चर्चा की. लेकिन नीतीश ने जब बोलना शुरू किया तो जमकर बोले और इस इलाके को अपना कर्मस्थल बतलाते हुए दावा किया कि अगर ये लोग नही होते तो हम राजनीति में यहा तक नही पहुंच पाते. नीतीश ने अपने भाषण के दौरान , टाल क्षेत्र के विकास समेत बिहार के लिये विभिन्न योजनाओं की मांग करके महफिल को लूट लिया और वहां मौजूद भीड़ ने नीतीश जिदाबाद के भी नारे लगाये . यानि भाजपा के समर्थक भी नीतीश के मुरीद बने .
हालांकि पीएम ने कोई नयी घोषणा वहां भी नही की लेकिन नीतीश को विकास पुरूष जरूर बतलाया . कह सकते हैं कि वगैर किसी मिहनत के नीतीश दोनो जगह महफिल लूटने में हुए कामयाब शायद इसलिये नीतीश को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है.ऐसे देखना है कि आनेवाले दिनो में नीतीश की मांग को किस रूप में लेती है केन्द्र सरकार.
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