एक गीत ..….
जा रहा हूं! और थोड़ी देर मेरा साथ दे दो
बस ज़रा सी दूर चलकर शौक से तुम लौट आना !!
जानता हूं अंत तक तो साथ भी कोई न देगा
रास्ते में रोकने को हाथ भी कोई न देगा !!
पौंछ लो आँसू तुम्हें आकर पड़ेगा मुस्कुराना !!
बस ज़रा सी दूर चलकर शौक से तुम लौट आना !!
कीमती हैं रोक लो! यूं मत बहाओ आंसुओं को
जब तलक जीवित रहो तब तक बचाओ आंसुओं को
क्या पता है किस घड़ी किस पर पड़े इनको बहाना !!
बस ज़रा सी दूर चलकर शौक से तुम लौट आना !!
हां अगर चाहा विधाता ने यहीं पर फिर मिलेंगे
इक नई खुश्बू के संग हम इस चमन में फिर खिलेंगे !
आ गया तो फिर शुरू कर दूंगा ये लिखना लिखाना !!
बस ज़रा सी दूर चलकर शौक से तुम लौट आना !!
-गुनवीर राणा