पूछ रही है आज तुम्हारी टँगी हुई तस्वीर दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर ?
प्रेम रोग के तुम्हीं अकेले नहीं रहे हो रोगी जो हालत है इधर तुम्हारी उधर हमारी होगी !
पूछ रही है आज तुम्हारी टँगी हुई तस्वीर
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर ?
प्रेम रोग के तुम्हीं अकेले नहीं रहे हो रोगी
जो हालत है इधर तुम्हारी उधर हमारी होगी !
चूक हुई है भारी प्रभु से लिखने में तकदीर !!
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर ?
पूछ रही है आज तुम्हारी टँगी हुई तस्वीर
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर !!
इन प्यासी आँखों में अब आँसू का कोष नहीं है।
समझ नहीं पाया हमको ये जग का दोष नहीं है !!
कौन पढ़ेगा हम दोनों के आँसू की तहरीर ?
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर ?
पूछ रही है आज तुम्हारी टँगी हुई तस्वीर
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर ?
सिर्फ़ तुम्हारी आँखों से तो जल ही जल बहता है
मेरी आंखों से जल के सँग सँग काजल बहता है !!
किसने परखी हम दोनों के इस जल की तासीर?
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर?
पूछ रही है आज तुम्हारी टँगी हुई तस्वीर
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर !!
ये क्या कम है ! हम दोनों सपने में मिल लेते हैं !
जग के दिए हुए घावों को दोनों सिल लेते हैं !!
लाख पड़ी हो पैरों में ये सामाजिक जंजीर
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर ?
पूछ रही है आज तुम्हारी टँगी हुई तस्वीर
दुखी क्यों बैठे हो गुनवीर !!
- गुनवीर राणा