जिसके लिए है दुनिया परेशान, बाबा रामदेव ने खोल दी उसी की दुकान!
बाबा रामदेव की कोरोना की दवाई
-रामदेव, बालकृष्ण और इंडिया टीवी ने बिना वैज्ञानिक पुष्टि के ही ठोंक दिया कोरोना की दवा मिलने का दावा
- कोरोना के इलाज या दवा के नाम पर धंधा करने वाले हर किसी के खिलाफ होनी चाहिए कड़ी कानूनी कार्यवाही
- वरना गली-गली अगर ऐसे बाबा/नीम-हकीम कोरोना का इलाज करने लगे या दवा ले आये तो जनता की जान के पड़ जाएंगे लाले
अंग्रेजी की एक कहावत है, For fools rush in where angels fear to tread. इसका हिंदी अनुवाद प्रख्यात साहित्यकार राजेन्द्र यादव ने इस तरह किया था कि , चूतिये धंसे पड़ते हैं वहां, फरिश्तों की भी फटती है जहां।
अब इधर कुछ दिनों से चल रहा एक घटनाक्रम देखिए। दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनियां, वैज्ञनिक, शोध संस्थान, डॉक्टर जिस कोरोना की दवा के लिए अरबों-खरबों खर्च करने और दिन-रात सैकड़ों-हजारों आदमियों को लगाए रखने के बाद भी एक से दो साल का समय मांग रहे हैं, उसी दवा को बना लेने का दावा भारत में बाबा रामदेव, बालकृष्ण और इंडिया टीवी की तिकड़ी कई दिनों पहले से ही करने में लगी हुई है। वह तो गनीमत है कि बिना वैज्ञानिक प्रमाण के कोई और मीडिया संस्थान या जनता रामदेव तिकड़ी के इस दावे को सत्य नहीं मान रहा। जाहिर है, कोरोना की भयावहता और कहर को भारत में भी अब जनता अच्छी तरह से पहचान चुकी है। उसे पता है कि अमेरिका और यूरोप जैसी उन्नत वैज्ञानिक ताकतों के यहां भी कोरोना ने किस तरह से कहर बरपा रखा है और अभी उसके सामने हर दवा बेअसर ही साबित हुई है।
यही नहीं, कोरोना की दवा खोज लेने या इलाज करने के नाम पर झाड़ फूंक करने या फर्जी दवा बेचकर माल अंदर करने का गोरखधंधा करने वाले कई बाबा भी कोरोना का शिकार होकर दुनिया से जा चुके हैं, जनता ऐसी खबरें भी पढ़/सुन चुकी है। इसलिए सभी को यह अन्दाजा भी लग चुका है कि नीम हकीम खतरा ए जान की कहावत भारत में रामदेव जैसे लोगों के लिए ही कही गयी है।
अगर रामदेव तिकड़ी के दावे में जरा भी सच्चाई है तो बजाय मीडिया के इस दवा को जनताके सामने लाने के, उन्हें वैज्ञानिक तरीकों से इस दवा की पुष्टि भारत सरकार के चिकित्सा संस्थानों से करवानी चाहिये। अगर उनकी दवा में दम हुआ तो वह हर वैज्ञानिक/ चिकित्सीय पैमाने पर खरी उतरेगी और खुद भारत सरकार इस कामयाबी का ऐलान दुनिया के सामने करेगी।
अभी तो जिस तरह से इंडिया टीवी से गठजोड़ करके बालकृष्ण और रामदेव कोरोना की दवा के नाम पर अभी प्रसिद्धि बटोर रहे हैं, वह सरासर अपराध है। अगर सरकार ने झूठी दवाओं के ऐलान की इस परम्परा पर रोक नहीं लगाई तो वह किस मुंह से हर छोटी- बड़ी दवा कंपनी या बाबा/नीम-हकीम को कोरोना सही करने के नाम पर जनता की जान से खिलवाड़ करके अपनी झोली भरने से रोकेगी? आज रामदेव दावा कर रहे हैं, उन्हें नहीं रोका तो कल हर मोहल्ले-गांव-कस्बे-शहर में ऐसे बाबा/नीम-हकीम कुकुरमुत्तों की तरह उग जाएंगे, जो कोरोना का इलाज करने लगेंगे...फिर उन्हें सरकार किस आधार पर रोकेगी? और रोक कर फायदा भी क्या होगा, जब यहां बड़े पैमाने पर कोरोना के शिकार मरीज रामदेव की फर्जी दवा खा- खाकर अपनी जान गंवा ही रहे होंगे...