बीड़ी जलइले, जिगर से पिया.. बीड़ी से बड़ी आस है!!

पिया जी की बीड़ी जिससे बनती है, वो तेंदू का पत्ता होता है। मनमोहन सिंह ने कहा था, पैसे पेड़ों पर नही उगते। मगर नहरपाली का रोहित कंवर, रोज पैसे पेड़ों से तोड़ता है, और जाकर वन विभाग से भंजा लेता है। 50 पत्तों की गड्डी के 4 रुपये मिलते हैं। एक पत्ता कोई 8 पैसे..

Update: 2020-05-19 15:15 GMT

मनीष सिंह 

पिया जी की बीड़ी जिससे बनती है, वो तेंदू का पत्ता होता है। मनमोहन सिंह ने कहा था, पैसे पेड़ों पर नही उगते। मगर नहरपाली का रोहित कंवर, रोज पैसे पेड़ों से तोड़ता है, और जाकर वन विभाग से भंजा लेता है। 50 पत्तों की गड्डी के 4 रुपये मिलते हैं। एक पत्ता कोई 8 पैसे..

छत्तीसगढ़ के सारे बड़े बड़े सन्तरे तेन्दुपान से ही मोटे हुए हैं। होते रहे, जब तक मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने इसे नेशनलाइज्ड न कर दिया। गॉव गॉव में सरकारी फड़ खुलती है, ठीक ठाक दाम मिलता है। सीजन में नाका साहब, याने वनरक्षक राजा हो जाते है, काहे की इस डेढ़ माह में रथ मिलता है। बोले तो जीप/कार।

मोहकमा जंगलात की 12 साल की सर्विस में 3 साल इसी खरसिया रेंज में गुजारे। पहली पोस्टिंग थी, उम्र कोई 20 साल। नाका साहब श्री लक्ष्मीनारायण जायसवाल के सौजन्य से मैंने ड्राइविंग तेन्दुपान की जीप में ही सीखी। गर्लफ्रेण्ड भी वहीं टकराई, जो अब नही रही। ( बीवी हो गयी) , जगह जगह नॉस्टैल्जिक हो रहा हूँ।


उस दौर में नगद पेमेंट होता था, खूब गचपच भी होता। बाद में तेंदूपत्ता संग्राहक को बैंक एकॉउंट से पेमेंट होने लगा। छत्तीसगढ़ स्टेट माइनर फारेस्ट प्रोड्यूस कारपोरेशन इसका प्रबन्धन करती है, जो काफी स्मूद है। संग्रहको का तब एक रुपल्ली वाला बीमा, आज के 12 रुपल्ली बीमे से बहुत पहले से लागू था।

तेंदूपत्ता, चार, साल बीज, लाख, महुआ, इस इलाके की रूरल इकॉनमी के आधार हैं। अब सब घट रहा है, मगर फिर भी महत्वपूर्ण बना हुआ है। रोहित जैसे सैंकड़ो आदिवासी इस दौरान दाना, पानी, तीर कमान के साथ जंगल में सुबह से घुस जाते हैं। शाम को प्रकृति की भेंट से लबालब लौटते हैं।


कोई सात आठ साल पहले कुछ जंगल साफ कर, एक पावर प्लांट लगा था। आज तक चिमनी अच्छे दिन का धुआं न देख पाई। कई किसानों की जमीन भी उसमे जज्ब है, हालांकि तब कीमत अच्छी मिल गयी थी। फैक्ट्री का कर्ज शायद NPA हो गया हो, शायद NPA आपने अब तक माफ भी कर दिया हो। लेकिन कौन सा आपको पता भी होगा। दरियादिली इसी को कहते हैं। जो दे दे खुशी से और न रोये किसी से..

तो वो दरियादिल, जो इकॉनमी बूस्टर खरीदने को लाइन में मरे- कटे जा रहे थे, उनसे निवेदन है कि शराब के साथ सिगरेट नही, बीड़ी का सेवन करें। रोहित, विजय माल्या से ज्यादा सुपात्र औऱ शरीफ है, मैं गारंटी लेता हूँ। वैसे भी स्वावलंबन और स्वदेशी का नारा बुलंद हो चुका।

मेरा वक्त आज बढ़िया कट रहा हैं। फिलहाल मुझे जाना है। आप प्लीज, बीड़ी जलई लो.. जिगर से, या भक्तो.. जहां सुलगे वहां से..


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