क्या भारत का सिस्टम,आम जनता को धोखा देता है ? पढ़ लीजिए
आपको सेना में एक मामूली सिपाही की नौकरी पाने के लिये डिग्री के साथ 10 किलोमीटर दौड़ कर भी दिखाना होगा, लेकिन....नेता यदि अनपढ़-गंवार और लूला-लंगड़ा है तो भी वह आर्मी, नेवी और ऐयर फोर्स का चीफ यानि डिफेन्स मिनिस्टर बन सकता है और जिसके पूरे खानदान में आज तक कोई स्कूल नहीं गया.. वो नेता देश का शिक्षामंत्री बन सकता है..
*स्विट्जरलैंड*
नाम तो आपने सुना ही होगा 'स्विट्जरलैंड'। ऐसा देश जहाँ दुनियां का हर शादीशुदा जोड़ा अपना हनीमून मनाने के ख्वाब देखता हैं। बर्फीली वादियों से ढका ये देश सुंदरता की अद्भुत कृति है। हरियाली हो या बर्फ, आंखे जिधर भी जाये पलक झपकना भूल जाये।
दुनिया का सबसे सम्पन्न देश हैं स्विट्जरलैंड! हर प्रकार से सम्पन्न इस देश की एक रोचक कहानी बताता हूँ।आज से लगभग 50 साल पहले स्विट्जरलैंड में एक प्राइवेट बैंक की स्थापना हुई जिसका नाम था 'स्विसबैंक'। इस बैंक के नियम दुनिया की अन्य बैंको से भिन्न थे।
ये स्विसबैंक अपने ग्राहकों से उसके पैसे के रखरखाव और गोपनीयता के बदले उल्टा ग्राहक से पैसे वसूलती थी।साथ ही गोपनीयता की गारंटी।न ग्राहक से पूछना की पैसा कहां से आया ?न कोई सवाल न बाध्यता।
सालभर में इस बैंक की ख्याति विश्वभर में फैल चुकी थी। चोर, बेईमान नेता, माफिया, तस्कर और बड़े बिजनेसमेन इन सबकी पहली पसंद बन चुकी थी स्विस बैंक। बैंक का एक ही नियम था।
रिचार्ज कार्ड की तरह एक नम्बर खाता धारक को दिया जाता, साथ ही एक पासवर्ड दिया जाता बस। जिसके पास वह नम्बर होगा बैंक उसी को जानता था।न डिटेल, न आगे पीछे की पूछताछ होती। लेकिन ,बैंक का एक नियम था कि अगर सात साल तक कोई ट्रांजेक्शन नही हुआ या खाते को सात साल तक नही छेड़ा गया तो बैंक खाता सीज करके रकम पर अधिकार जमा कर लेगा।
सात वर्ष तक ट्रांजेक्शन न होने की सूरत में रकम बैंक की। अब रोज दुनियाभर में न जाने कितने माफिया मारे जाते हैं। नेता पकड़े जाते हैं। कितने तस्कर पकड़े या मारे जाते है, कितनो को उम्रकैद होती है। ऐसी स्थिति में न जाने कितने ऐसे खाते थे जो बैंक में सीज हो चुके थे।
सन् 2000 की नई सदी के अवसर पर बैंक ने ऐसे खातों को खोला तो उनमें मिला कालाधन पूरी दुनिया के 40% काले धन के बराबर था। पूरी दुनियां का लगभग आधा कालाधन। ये रकम हमारी कल्पना से बाहर हैं। शायद बैंक भी नही समझ पा रहा था कि क्या किया जाए इस रकम का। क्या करें, क्या करे?
ये सोचते सोचते बैंक ने एक घोषणा की और पूरे स्विट्जरलैंड के नागरिकों से राय मांगी की इस रकम का क्या करे?साथ ही बैंक ने कहा कि,देश के नागरिक चाहे तो ये रकम बैंक उन्हें बांट सकता हैं? और प्रत्येक नागरिक को एक करोड़ की रकम मिल जाएगी।
सरकार की तरफ से 15 दिन चले सर्वे में 99.2% लोगों की राय थी कि इस रकम को देश की सुंदरता बढ़ाने में और विदेशी पर्यटकों की सुख सुविधाओं और विकास में खर्च किया जाए।
सर्वे के नतीजे हम भारतीयों के लिये चौंकाने वाले है,लेकिन राष्ट्रभक्त स्विटरजरलैंड की जनता के लिये ये साधारण बात थी। उन्होंने हराम के पैसों को नकार दिया। मुफ्त नही चाहिये ये स्पष्ट सर्वे हुआ। चौंकाने वाला काम दूसरे दिन हुआ।
25 जनवरी 2000 को स्विट्जरलैंड की जनता बैनर लेकर सरकारी सर्वे चैनल के बाहर खड़ी थी। उनका कहना था जो 0.8% लोग हैं मुफ्त की खाने वाले, उनके नाम सार्वजनिक करो। ये समाज पर और स्विट्जरलैंड पर कलंक है।
काफी मशक्कत के बाद सरकार ने मुफ्त की मांग करने वालो को दंडित करने का आश्वासन दिया, तब जनता शांत हुई। और हमारे भारत में सब कुछ मुफ्त चाहिए। इसके इलावा टैक्स चोरी, बिजली चोरी, कामचोरी,,,,,, मेरा भारत महान,,,,।
*VVV IMPORTANT...*
क्या भारत का सिस्टम,आम जनता को धोखा देता है ?
आप खुद देखिये....
1- नेता चाहे तो दो सीट से एक साथ चुनाव लड़ सकता है ! लेकिन....आप दो जगहों पर वोट नहीं डाल सकते.
2-आप जेल मे बंद हो तो वोट नहीं डाल सकते..लेकिन नेता जेल मे रहते हुए चुनाव लड सकता है.
3-आप कभी जेल गये थे, तो अब आपको जिंदगी भर
कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी.
लेकिन……
नेता चाहे जितनी बार भी हत्या या बलात्कार के मामले में जेल गया हो, फिर भी वो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जो चाहे बन सकता है.
4-बैंक में मामूली नौकरी पाने के लिये आपका ग्रेजुएट होना जरूरी है. लेकिन, नेता अंगूठा छाप हो तो भी भारत का फायनेन्स मिनिस्टर बन सकता है।
5-आपको सेना में एक मामूली सिपाही की नौकरी पाने के लिये डिग्री के साथ 10 किलोमीटर दौड़ कर भी दिखाना होगा, लेकिन....नेता यदि अनपढ़-गंवार और लूला-लंगड़ा है तो भी वह आर्मी, नेवी और ऐयर फोर्स का चीफ यानि डिफेन्स मिनिस्टर बन सकता है और जिसके पूरे खानदान में आज तक कोई स्कूल नहीं गया.. वो नेता देश का शिक्षामंत्री बन सकता है
और जिस नेता पर हजारों केस चल रहे हों.. वो नेता पुलिस डिपार्टमेंट का चीफ यानि कि गृह मंत्री बन सकता है.
सरकारी कर्मचारी 30 से 35 वर्ष की संतोष जनक सेवा करने के उपरांत भी पेशन का हकदार नहीं ? जब कि मात्र 5 वर्ष के लिए विधायक / सांसद को एक दो पेंशन साथ साथ, यह कहाँ का न्याय है...?
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- D. K. Srivastava
मुख्य सरकारी वकील
मुंबई उच्च न्यायालय.
मुंबई.....