प्रेम से परिवार* *बनता स्वर्ग समान है।।*

एक अदृश्य स्नेह प्रेम का अद्धभुत सा आधार है।। है बसा प्रेम तो स्वर्ग सा घर अपना बन जाता...

Update: 2021-06-27 02:07 GMT

*।।शीर्षक।।प्रेम से परिवार*

*बनता स्वर्ग समान है।।*

1

परिवार छोटी सी दुनिया

प्यार का इक संसार है।

एक अदृश्य स्नेह प्रेम का

अद्धभुत सा आधार है।।

है बसा प्रेम तो स्वर्ग सा

घर अपना बन जाता।

कभी बन्धन रिश्तों का तो

कभी मीठी तकरार है।।

2

सुख दुख आँसू मुस्कान

बाँटने का परिवार है नाम।

मात पिता के आदर से

परिवार बने है चारों धाम।।

आशीर्वाद,स्नेह,प्रेम ,त्याग

की डोरी से बंधे होते सब।

प्रेम गृह की छत तले तो

परिवार है स्वर्ग समान।।

3

तेरा मेरा नहीं हम सब का

होता है परिवार में।

परस्पर सदभावना बसती

है यहाँ हर किरदार में।।

नफरत ईर्ष्या का कोई भी

स्थान नहीं घर के भीतर।

प्रभु स्वयं ही आ बसते बन

प्रेम की मूरत घर संसार में।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।*

 

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