गज़ल़ : चंद लफ्ज़ों की शान के आगे...

सर झुकाए था सच अदालत में एक झूठे बयान के आगे !!

Update: 2021-06-28 10:30 GMT

चंद लफ्ज़ों की शान के आगे

लुट गए हम ज़बान के आगे !!

सर झुकाए था सच अदालत में

एक झूठे बयान के आगे !!

बख्श दे जान उस परिंदे की

तीर रोया कमान के आगे !!

हाथ फैलाए भूख बैठी थी

एक बेबस किसान के आगे !!

एक छोटा सा घर है पत्थर का

कांच के उस मकान के आगे !!

प्यास ऐसी कि रो पड़ी धरती

आज फिर आसमान के आगे !!

दूसरा भी जहान है कोई ?

ए खुदा इस जहान के आगे ?

मार दी ख्वाहिशें सभी राणा

एक बस खानदान के आगे !!

- गुनवीर 'राणा'

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