प्यार
कैसे बताएं कैसा है ये प्यार
सर्द सुबह में पत्तों पर
ओश की बूंदों सा है ये प्यार
चाँदनी रात में
चकोर सी पक्षी सा है ये प्यार
कैसे बताएं कैसा है ये प्यार
छन्न सा पागल, यशोधरा के
इन्तजार सा है ये प्यार
गंगा सा निर्मल, पूरी धम्मपद के
हर सार सा है प्यार
कैसे बताएं कैसा है ये प्यार
हीर की हर मंजिल में रान्झे की
राह सा है प्यार
मजनू के हर घाव में लैला की
आह सा है प्यार
कैसे बताएं कैसा है ये प्यार
मां के आचल में छुपा सा है ये प्यार
पापा के डांट में दिखता है ये प्यार
भाई के शरारत में छुपा ये प्यार
बहन की लड़ाई में बस प्यार ही प्यार
दोस्तों के बातों में है ये प्यार
कैसे बताएं कैसा है ये प्यार
इतना सच्चा, इतना पवित्र, इतना कारुणिक कैसा है ये प्यार
तो बस तु मुझमें, मैं तुझमें ऐसा
है ये प्यार
कैसे बताएं कैसा है ये प्यार ।।
प्रेमलता, पीएचडी शोधार्थी, बौद्ध विद्या विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली