शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्थान फ़ाउंडेशन के तत्वाधान में 5 सितंबर को जूम मीट पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। "शिक्षक और साहित्य- चर्चा, संस्मरण एवं काव्य पाठ" विषय पर आधारित इस वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि यूएसए से पूनम सिंघल ने कहा कि स्कूल चलाना एक बहुत अच्छा और सुखद अनुभव रहा है। अलग-अलग राष्ट्रीयता के विद्यार्थियों के साथ शुरू-शुरू में कुछ समस्या तो आती ही हैं, परंतु धीरे-धीरे बच्चे घुलमिल जाते हैं।
यूके से अतिथि वक्ता शैल अग्रवाल ने बताया कि शिक्षक ही उनकी प्रेरणा रहे हैं। कार्यक्रम की आयोजिका और संचालिका अरूणा घवाना ने वेबिनार का बखूबी संचालन करते हुए नार्वे से साहित्यकार शुक्लाजी का शुभकामना संदेश भी पढ़ा। साथ ही शिक्षक और साहित्य की महत्ता को स्वीकारा। उन्होंने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि वेबिनार का विषय सार्थक हो गया।
स्वीडन से इंडो-स्कैंडिक संस्थान के उपाध्यक्ष सुरेश पांडेय जी ने काव्य पाठ कर शिक्षकों को नमन किया। यूएसए से अन्य वक्ता त्रुप्ति पांड्या ने बतौर शिक्षिका अपने अनुभव साझा किए। दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डा जसवीर त्यागी ने काव्य पाठ कर कोविड के दौरान आनलाइन क्लास तथा छात्र और शिक्षक की मनोदशा का बखूबी वर्णन किया।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एलआर नेगी ने इस साहित्य समाज की हर बुराई और समस्याओं को बताता है और उसके समाधान भी प्रस्तुत करता है। मुंबई से असिस्टेंट डायरेक्टर विवेक शर्मा भी इस वेबिनार में जुड़े। देहरादून से जुड़ी सरोजिनी नौटियाल ने डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर अपना वक्तव्य पढ़कर गांधीजी को शिक्षक की भूमिका में रखकर कविता पाठ किया। दिल्ली से राहुल मित्तल कहा कि मीडिया एक प्रैल्टिक्ल विषय है इसलिए हमें विद्यार्थियों को कालेज के पहले वर्ष से ही अभ्यास शुरू कराना चाहिए।
वेबिनार के विषय को सबने सार्थक मान सभी प्रतिभागियों ने माना कि शिक्षक और साहित्य की भूमिका मानव जीवन में एक विशेष स्थान रखती है। शिक्षण और साहित्य देश, काल व वातावरण के साथ-साथ बदलता भी है। पर हर बदलाव बुरा नहीं कहा जा सकता। प्रतिभागियों ने विद्यार्थी जीवन के संस्मरण के साथ-साथ काव्य पाठ भी किया। इन यादों के साथ सब भाव-विभोर हो गए।