आंसुओ की गहराई में सिमटती ………वो लड़की...!
वक्त की मार सहे…रौशन से उस चेहरे में …
लड़की एक ऐसा शब्द है जिसे लफ्जों में बयान नहीं किया जा सकता। लड़की की एहमियत वो लोग ज्यादा समझ सकते है जिनके घर में ये रौनक नहीं है। दोस्तों ये सच्चाई है कि हर किसी को सुन्दर बहु, अच्छी माँ, प्यार और देखभाल करने वाली बहन तो चाहिए पर लड़की का नाम सुनते ही कुछ लोगों के चेहरे पर उदासी छा जाती है। परन्तु समय के साथ साथ बहुत से लोगों की सोच में परिवर्तन आया है और कुछ लोग तो बस बेटी पैदा होने की दुआ ही करते है क्योकि बेटियां खुद परेशान होकर भी माँ बाप की सेवा करने के लिए तत्पर रहती है।
वो लड़की
वक्त की मार सहे……..….
रौशन से उस चेहरे में ………….
छोरियों की वो सिलवटें…………..
जिसमें न जाने कितने ही …………..
आंसुओ की गहराई में सिमटती …………….
वो लड़की***********
अल्हड़ से उन क़दमों में………….
जिम्मेदारियों को नापती……………
और तो और बड़े ही प्यार से सजाती……...
उन पैरों को…………
वो लड़की*********
कनक के भार से……….
तय होती उसकी स्वतंत्रता……….
जिसके अनकहे बंधनों में………...
चमक की परत बनकर रह जाती,............
वो लड़की***********
फिर सब कुछ उतार…………
संभाल...……….
सहजती ……………….
एक अपने ही जैसी लड़की के लिए………
वो लडक़ी**********
सीखी गई सीख,..................
विचारों,संघर्षों, भावनाओं,ख्वाहिशों को……...
छाव बना………...
बोए हुए बीज की ढाल बनती………..
वो लड़की**************
रौशन से उस चेहरे से ………...
सिलवटों का सफ़र तय करती………
वो लड़की….…...
(डा० पूजा गुप्ता आसिस्टेंट प्रोफेसर दर्शनशास्त्र विभाग संथाल परगना महाविद्यालय दुमका, झारखंड)