संकल्प से सिद्धि की ओर भारतीय अर्थव्यवस्था

Indian economy from Sankalp to Siddhi

Update: 2023-08-07 13:08 GMT

अरविंद जयतिलक

गत दिवस पहले दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि उनके थर्ड टर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की टाॅप तीन अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगी। प्रधानमंत्री का यह भरोसा और आत्मविश्वास भारतीय अर्थव्यवस्था के संकल्प से सिद्धि की ओर बढ़ते कदम को ही रेखांकित करता है। देखा भी जाए तो उनके नौ साल के कालखंड में ही भारत दुनिया में सर्वाधिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश का तमगा हासिल कर चुका है। 2014 से पहले औंधे मुंह पड़ी विकास दर, कमरतोड़ महंगाई और उत्पादन में कमी से निपटते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मैक्रो-इकनाॅमिक फंडामेंटल्स को मजबूत करते हुए अर्थव्यवस्था को नई उर्जा और ऊंचाई दी है।

आज उसी का परिणाम है कि भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना है। ब्लुमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने ऊंची छलांग लगायी है और जीडीपी 13.5 फीसद की दर से आगे बढ़ी है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रिपोर्ट में भी कहा जा चुका है कि भारत 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभर सकता है। गौर करें तो 2014 में भारत आर्थिक रुप से दसवें पायदान पर था। लेकिन उपभोक्ता खर्च में आई तेजी, घरेलू स्तर पर बढ़ी मांग और सेवा क्षेत्र में लगातार विस्तार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। आज भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है।

आज भारत में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन डेटा उपभोक्ता हैं। सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। भारत तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। इनोवशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग लगातार सुधर रही है। देश में यनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआइ के जरिए लेन-देन बढ़ा है। एसबीआई के इकानाॅमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआइ लेन-देन की मात्रा वित्त वर्ष 2023 में 8.375 करोड़ हो गयी है। यूपीआइ से इसी अवधि में 6,947 करोड़ से बढ़कर 139 लाख करोड़ हो गया है। विनिर्माण क्षेत्र में ग्रोथ से भारत के निर्यात में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। 50 लाख करोड़ का समान विदेश निर्यात किया गया है। बीते नौ वर्षों में 110 अरब डाॅलर से ज्यादा की नई कंपनियां अस्तित्व में आई हैं। आज इनका मूल्य 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। यह संकेत भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था की संभावना को पुख्ता करता है।

माना जा रहा है कि आर्थिक सुधारों और कारोबारी सुगमता के कारण 2023-24 में 100 अरब डाॅलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आ सकता है। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार लगातार कृषि क्षेत्र को मजबूत कर रही है। 2014 से पहले कृषि क्षेत्र में आवंटन 25 हजार करोड़ रुपए का था। आज यह बढ़कर एक लाख पच्चीस हजार करोड़ रुपए हो गया है। केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के ढांचागत विकास के लिए आने वाले पांच वर्षों में 25 लाख करोड़ रुपए निवेश का खाका तैयार की है। सरकार की मंशा इस निवेश के जरिए सिंचाई के साधन, मंडियों की स्थापना, पोल्ट्री, डेयरी व अन्य उत्पादों के कोल्ड स्टोरेज, ढुलाई और मंडी के ढांचे को मजबूत करना है। अगर यह योजना मूर्त रुप लेती है तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी और कृषि में नुकसान का जोखिम कम होगा। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद कृषि क्षेत्र में आमूलचुल परिवर्तन का युग प्रारंभ हुआ है। सरकार ने देश का भाग्य संरचनात्मक रुप से कृषि और किसानों से जोड़ा है और उसके सकारात्मक परिणाम मिलने-दिखने शुरु हो गए हैं। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत के मुकाबले डेढ़ गुना कर किसानों के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया। नतीजा आज भारत पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2019 में भारत को 5000 अरब डाॅलर यानी पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था और वैश्विक आर्थिक ताकत बनाने की परिकल्पना की थी। उस समय तमाम आर्थिक विश्लेषकों ने इस परिकल्पना के लक्ष्य पर सवाल उठाया था। याद होगा तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र और सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में पांच लाख करोड़ (पांच ट्रिलियन) की अर्थव्यवस्था की क्षमता पर शक करने वाले लोगों को पेशेवर निराशावादी की संज्ञा देते हुए भरोसा जताया कि उनकी सरकार लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब होगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह उनकी सरकार गत वर्षों में अर्थव्यवस्था को दो ट्रिलियन की ऊंचाई दी है उसी तरह अगले आने वाले वर्षों में पांच ट्रिलियन का लक्ष्य पूरा करेगी। यहां ध्यान देना होगा कि वर्ष 2019 में संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी की चपेट में आ गया था। दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाएं बेपटरी हुई और भारत के लिए भी चुनौती बढ़ी। ऐसे में इस लक्ष्य को हासिल करना बड़ी चुनौती है। इस चुनौती को साधने के लिए कुछ अहम कदम उठाने होंगे। मसलन, विकास दर की रफ्तार 12 फीसदी करने के साथ-साथ जीडीपी में 17 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले कृषि क्षेत्र जो कि 50 फीसद श्रमशक्ति को रोजगार देता है, की सेहत सुधारनी होगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज गति की राह में कच्चे तेल के आयात में अत्यधिक डाॅलर के भुगतान को कम करना होगा। ज्यादा भुगतान पांच ट्रिलियन के लक्ष्य को साधने में बड़ा रोड़ा है। इसके लिए भारत सरकार को कच्चे तेल के आयात पर से निर्भरता घटानी होगी। अगर इसे मूर्त रुप दिया गया तो फिर भारत के लिए पांच ट्रिलियन इकोनाॅमी के लक्ष्य को हासिल करना कठिन नहीं रह जाएगा। इसलिए कि चालू वित्त वर्ष के बजट में पूंजीगत खर्च पर जोर से घरेलू विनिर्माण को गति मिली है। कर राजस्व संग्रह में इजाफा हुआ है। महंगाई में कमी आयी है और बेरोजगारी दर घटा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उचित कहना है कि पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब जनभागीदारी बढ़ेगी। यानी उन्होंने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जनता विशेष रुप से ग्रामीण जनता का आह्नान किया है। इसलिए कि जीडीपी ग्रोथ तभी दिखेगी जब ग्रामीण भारत की आय में वृद्धि होगी। ग्रामीण भारत की आय बढ़ाने के लिए सरकार को कृषि के साथ-साथ बागवानी और मत्स्य पालन जैसे परंपरागत कार्यों पर फोकस बढ़ाना होगा। अगर ग्रामीण युवा बागवानी और मत्स्य पालन में अपने भविष्य को संवारते हैं तो जीडीपी ग्रोथ का बढ़ना तय है।

उचित होगा कि सरकार बागवानी और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण और शैक्षिक कार्यक्रम चलाए। एनुअल स्टेट आॅफ रिपोर्ट-2017 में कहा जा चुका है कि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को शिक्षा के विशेष अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ताकि कृषि के साथ-साथ उससे जुड़ी अन्य बुनियादी ढांचे का निमार्ण तेजी और सहजता से हो सके। ध्यान देना होगा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जीडीपी ग्रोथ के लक्ष्यों को हासिल किए बिना 5 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था संभव नहीं है। इसके लिए सभी क्षेत्रों में आवंटन पर जोर देना होगा। इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सरकार को औद्योगिक विकास की गति तेज करने के लिए खनन क्षेत्र और बिजली उत्पादन में जबरदस्त सुधार करने की जरुरत है।

सरकार को ध्यान रखना होगा कि पांच ट्रिलियन के लक्ष्य हासिल करने के लिए रोजगार बढ़ाने पर काफी जोर देना होगा। बेरोजगारी अर्थव्यवस्था की राह में रोड़ा है। सरकार को सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार का सृजन करना होगा। अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने के साथ एमएसएमई सेक्टर पर जोर देना होगा। लेकिन यह तभी संभव होगा जब विदेशी निवेश बढ़ेगा। इसके लिए सरकार को टैक्स घटाने, महंगाई कम करने और रोजगार दर बढ़ाने की दिशा में ठोस पहल करना होगा। इक्विटी टैक्स 20 फीसद से नीचे लाना होगा। सरकार को एफडीआई बढ़ाने की दिशा में ठोस पहल की रणनीति बनानी होगी। अगर सरकार इन सभी उपायों को आजमाती है तो 2029 तक भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर सकती है।

लेखक अर्थशास्त्र के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार है। 

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