साहित्य : ख़्वाबों में तू है, ख़यालों में तू है मीठे में तू है मसालों में तू है
जाने क़िस्मत में क्या लेखनी पायी है जाने ये सोच मुझे कहाँ ले आयी है मैं भटक रहा हूँ विचारों में अपने जाने ये प्रेम की कैसी रुसवाई है..
ख्वाबों में तू है ख़यालों में तू है
मीठे में तू है मसालों में तू है
अंधेरे में तू है उजालों में तू है
सवालों में तू है जवाबों में तू है
मेरी सोच है जहां हर उस जगह तू है
जाने क्या हो गया मुझको
जाने क्या समझ बैठा तुझको
तू है ऐसे जैसे प्रभु की पूजा
मुझे सुझता ही नहीं कुछ दूजा
हर पल तेरा इंतज़ार रहता है
दिल तेरी आरज़ू में खोया रहता है
दिल ने माना है तुझको पाना है
कैसे ??? बस ना ये जाना है
तेरा अक्स मेरी सोच में उभर आता
तेरा अहसास दिल को झँझोड़ जाता है
ना तू है ना तेरी परछाई है
हर तरफ़ बिखरी तन्हाई है
जाने क़िस्मत में क्या लेखनी पायी है
जाने ये सोच मुझे कहाँ ले आयी है
मैं भटक रहा हूँ विचारों में अपने
जाने ये प्रेम की कैसी रुसवाई है
शायद एक यही कमी है जीवन में
जिसकी आस तुझसे बंध आयी है
लगता है अब साँस भी परायी है
ख़्वाबों में ही सही तू मिलने तो आयी है
- देवेन शर्मा