कांग्रेस के द्वार, राहुल की डोर देख रहे हैं..
कांग्रेस कई मामलों में अजब पार्टी है और उसका खामियाजा भी भुगतती है। आस्कर फर्नांडिज जैसा संगठन का 24 घंटे, सातों दिन का आदमी यहां दूसरे और तीसरे दर्जे के नेताओं में शुमार होता है। आस्कर ने हजारों युवा कार्यकर्ता बनाए होंगे और सबके सब मजबूत। मगर उन्हें मिला क्या?
राहुल ने बंगलौर जाकर बहुत अच्छा किया। आस्कर फर्नांडिज कांग्रेस की नींव के बहुत मजबूत मगर गहरे गड़े पत्थरों में से थे। जिन्हें कांग्रेस के नेता हमेशा साइड करने की कोशिश करते रहे। जबकि कार्यकर्ताओं में वे सबसे लोकप्रिय रहे। और मदद करने के मामले में तो उनका कोई मुकाबला ही नहीं था।
कांग्रेस कई मामलों में अजब पार्टी है और उसका खामियाजा भी भुगतती है। आस्कर फर्नांडिज जैसा संगठन का 24 घंटे, सातों दिन का आदमी यहां दूसरे और तीसरे दर्जे के नेताओं में शुमार होता है। आस्कर ने हजारों युवा कार्यकर्ता बनाए होंगे और सबके सब मजबूत। मगर उन्हें मिला क्या?
एक बार मंत्री बने। वह भी कुछ समय के लिए। राजीव गांधी ने जरुर उस समय अपना संसदीय सचिव बनाकर ज्यादा काम करने का अवसर दिया था। मगर बाद में पदों के मामले में पीछे ही रहे। कांग्रेस में अपना प्रचार तंत्र मजबूत करने वाले नेताओं की ही तूती बोलती है। कार्यकर्ताओं को मजबूत करने वालों की नहीं।
एक ही उदाहरण देते हैं। 5 स्टार ताज मानसिंह होटल के नीचे अपने एक कार्यकर्ता का ढाबा खुलवा दिया। कहीं ऐसा नहीं हो सकता। मगर वे अपने कार्यकर्ता के लिए कुछ भी कर सकते थे। किसी को मना नहीं। नौकरी, लड़की की शादी, इलाज कोई काम हो आस्कर रात के दो बजे भी मदद करने को तैयार रहते थे। सामान्य लोगों को कितनी नौकरी दिलवाई होगी इसकी कोई गिनती नहीं। ऐसे ही लड़की की शादी में कितना पैसा, किस किस से दिलवाया होगा इसके बारे में कोई नहीं जानता होगा। जाने कहां कहां से लाकर आखिरी वक्त में पैसा पहुंचाते थे।
राहुल ने उनकी कीमत जानी। बंगलौर जाकर आखिरी सलाम किया। कार्यकर्ताओं का दिल जीत लिया। NSUI, यूथ कांग्रेस के हजारों लोगों को अच्छा लगा होगा। इन संगठनों को खड़ा करने में आस्कर से बड़ा योगदान किसका है?
राहुल अगर नेताओं की ऐसी ही पहचान जीते जी करें तो कांग्रेस का ज्यादा भला होगा।
- शकील अख्तर