मुलायम सिंह यादव से उनके दोस्त ने कहा, नेता जी हमहू हेलीकॉप्टर पे बैठेंगे तो क्या किया नेताजी ने!

Update: 2022-10-04 06:03 GMT

Mulayam Singh Yadav News, Mulayam Singh Yadav Hindi News, Mulayam Singh Yadav Breaking News, Mulayam Singh Yadav Latest News

:Mulayam Singh Yadav  उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम जिसकी लोकप्रियता और उनके प्रति पक्ष और विपक्ष में एक अलग तरह का सम्मान का होना पिछले पचास वर्षों में शायद किसी के हिस्से में आया हो।

राजनीति के उच्च पदों पे रहने के बाद भी मुलायम सिंह का स्वभाव अपने लोगों के प्रति इतना मुलायम रहता था जो उनके सम्बन्धो को फौलाद बनाता था, नाम मुलायम इरादा फौलाद, का नारा उनके ब्यवहार की परिणीति थी।

----मेरी पहली पोस्टिंग इटावा में हुई थी चम्बल की कहानी और मुलायम सिंह की कहानी सुनते हुए, शरीर मे अलग तरह का भय पैदा हो जाता था, लेकिन करनी थी तो पहुँच गए।

---शुरुआत में हम जिला पंचायत में रहते थे तब अध्यक्ष थे पूर्व सांसद प्रेम दास कठेरिया। वही एक बुड्ढा आदमी लाठी लेकर आता था नाम नही याद है, फटे कपड़े, हाथ मे लाठी, अक्सर पैर में बिना चप्पल के, उसके आते ही अध्यक्ष से लेकर विधायक जी जो रहते थे सम्मान से खड़े हो जाते, जल्दी जल्दी कुर्सी आगे कर दी जाती।

कभी कभी किसी बात पे वो विगड़ जाते की जल्दी कुछ मंगा के खिलाओ। तुरन्त मंगाया जाता।

गर्मी रहती उनका मन करता तो जिला पंचायत अध्यक्ष के आवास में घुस जाते बाथरूम में और नंगे नहाते, फिर अपना कपड़ा पहन लेते, बोलते यंहा कौन परिवार रहता है, आदमी साले क्या देखेगे उनका बाप हूं।

-----अरे सर इनका बहुत जलवा है, है कौन देखने मे चिरकुट लगते हैं, एक दिन हमने अध्यक्ष जी से पूछा?

----अरे नेता जी का दोस्त है,उनके साथ कुश्ती लड़ा है, बहुत मानते हैं।

----अच्छा सच मे?

----हा, एक बार हेलीकॉप्टर से किसी जनसभा में आये थे, ये भी वही थे, नारा लगाते हुए पहुँच गए, नेता जी ने हाल चाल लिया, उस समय मुख्यमंत्री थे। पूछा और बताओ कुछ मन मे है, क्या दू तुम्हे?

---नेता जी हमहू हेलीकॉप्टर पे बैठेंगे।

----अच्छा, फिर उन्होंने अपने पायलट को कहा इनको बैठा के उड़ा दो।

----दादा कूद के हेलीकॉप्टर में बैठ गए लाठी के साथ, पायलट ने कहा लाठी नही जाएगी।

----बिना लाठी के हम स्वर्ग ना जाए, हेलीकॉप्टर की क्या बात, हम तो लाठी लेकर उड़ेगे।

----बात नेता जी को बताई गई वो खड़े होकर उनको देख रहे थे, नेता जी ने कहा लाठी लेकर जाने दो मारेगा नही दोस्त हैं बिना लाठी के नही चलता। फिर उनको लेकर हेलीकॉप्टर उड़ा, और चक्कर काट के नीचे आया। यह काम अपने सुदामा दोस्त के लिए सिर्फ मुलायम सिंह कर सकते थे।

----हम लोगो के रहते फिर उनके बारे में हजारों किस्से पता चले जो विश्वास करने लायक नही होते थे कि इतना बड़ा आदमी अपने शुरुआती साथियों को इतना याद रख सकता है क्या?

---जब बसपा सरकार गिरने के बाद मुख्यमंत्री बने तब हम लोग वही तैनात थे, किसी अपने पुराने साथी की बीमारी का सुने तो उनके घर देखने पहुँच गए पता चला इलाज में लापरवाही कर रहे थे, बस उन्होंने अपने सभी पुराने साथियों को खोजना शुरू कर दिया और सबको इलाज के लिए पकड़ पकड़ के पी जी आई भेजा जाने लगा😊.

लोग मना करने लगे कि नही नेता जी पिता जी एकदम फिट हैं, क्योंकि थोड़ा सा कहते ही जिलाधिकारी, CMO से कहकर एम्बुलेंस से भिजवा देते थे।

---मुख्यमंत्री रहते हम लोगो की ड्यूटी उनको देने लिए आये आवेदन पत्रों को जुटाने की होती थी फिर उनके हेलीकॉप्टर पे रख दिया जाता था, लखनऊ जाकर उस पर निर्णय होता था। एक बार हम लोग जुटाते जुटाते थक गए तो आवेदन पत्रों का गट्ठर अपने चपरासी अनिल यादव को देकर उस गेस्ट हाउस में भेज दिया जिसमें मुख्यमंत्री जी रुके थे कि सिक्योरिटी वालों को दे देना।

मेरा चपरासी अनिल सैफई गांव का ही था उनके बगल का, लेकर पहुँच गया उसी समय मुलायम सिंह जी अपने प्रमुख सचिव के साथ बात करते हुए लान में टहलने लगे, अनिल किसी को कागज देकर लपक के उनके पास पहुँच गया, पैर छूकर खड़ा हो गया।

----क्या है, क्या है, कौन हो, यंहा कैसे आ गए?

----नेता जी उनका लड़का हूं( अपने पिता जी का नाम बताया)

बेरोजगार हूं, कोई काम नही है कुछ करिये( झूठ बोल दिया)

----अरे कोई काम नही करते?

---नही नेता जी।

----अरे, अरे एप्लिकेशन है कोई दो तुरन्त, फिर अपने प्रमुख सचिव से बोले इसको नोट करो लगवाओ कही, इसके पिता जी हमारी बहुत सेवा करते थे, मेरे साथ भैस चराते थे हम लोग कही बिजी हो जाते थे तो वही सब देखते थे, हमारे पुराने साथी है उनके बच्चे बेरोजगार रहेंगे तो अच्छा नही लगेगा।

----अनिल यादव उतना ही चालाक था हमेशा एक एप्लिकेशन किसी विभाग का रखता था, अपने भाई का पकड़ा दिया, कुछ दिनों में वह भी चपरासी हो गया।

हम लोगों के सामने कितने पुराने साथी या उनके लड़के नेता जी के सामने आते और प्यार में झगड़ा कर लेते, सबका काम तुरन्त करते नेता जी और उनसे जुड़ा कोई ना कोई किस्सा भी सुनाते।

एक बार कचहरी में एसएसपी ने नेता जी के बहुत नजदीक आये लोगों को रोक दिया तो बुजुर्ग लोग भड़क गए, एसएसपी में चिल्लाने लगे कि अब नेता जी से नही मिलने दोगे हम लोगो को?

----मुलायम सिंह जी गाड़ी में बैठ रहे थे सुन लिए उतर के आये लोगो को डांटा की हमारी सुरक्षा में लगे हैं इनसे लड़ रहे हो रोज तो आता हूं बाद में मिल लेना।

---सब चिल्लाने लगे, नही नेता जी सुन के जाइये।

----हँसते हुए एसएसपी से बोले मिलने दो भाई संकट के साथी हैं सब।

----नेता जी का बड़प्पन इतना था के मुख्यमंत्री से हटने के बाद की बात है एक दिन उनके आवास के सामने मैं और साथी अधिकारी अनुज यादव टहल रहे थे रात आठ बजे की बात होगी पता चला नेता जी आये हैं, भीड़ कम थी हम लोग भी कहे चलो मिला जाय, पहुँच के पर्ची पे नाम लिख दिया गया--

----नेता जी तुरन्त बुला लिए, और जब हम लोग उनके कमरे में पहुचे तो नेता जी अपने सोफे से खड़े होकर हम लोगों का स्वागत किये, मैं और अनुज भौचक एक दूसरे को देख रहे थे कि तीन बार का मुख्यमंत्री, पूर्व रक्षामंत्री, इतना बड़ा नेता खड़ा हो गया, मेरी आवाज ही बन्द सी हो गई थोड़ी देर बाद निकली और फिर देर तक बैठाए रहे।

-----DM साहब बताते की सैफई महोत्सव में मुख्यमंत्री रहते जब अपने घर हम लोगो को खाना खिलाते हैं तो खुद खड़े होकर परोसते है कि ये खाओ वो खाओ, संकोच करने पे कहते खाओ खाओ यंहा मेहमान हो, DM नही।

----एक बार हम लोगो का क्रिकेट मैच हो रहा था सैफई में पता चला मुख्यमंत्री जी का हेलीकॉप्टर टेक आफ होने वाला है अचानक सैफई आ रहे, DM साहब क्रिकेट किट में ही हेलीपैड की तरफ भागे।

मुख्यमंत्री नेता जी उतरे, देखते ही बोले--

""DM साहब ये क्या पहने हो खेल रहे थे क्या"?

---जी सर क्रिकेट मैच हो रहा था, अचानक सुना तो भाग के आया, कपड़े नही बदल पाए""

----अच्छा जाओ, जाओ खेलो।

----अरे सर अब आप को छोड़कर कहा।

----नही जाओ, जाओ, किसी SDM को कर दो, खेलने के बाद मिलना, बताना कौन जीता, क्रिकेट क्या खेलते हो और कुछ खेला करो😊.

आज नेता जी बीमार है, हालत गम्भीर है, उम्र के इस पड़ाव पे हैं कि बीमार होने स्वाभाविक है लेकिन नेता जी ने अपनी ऊंचाइयों के साथ सम्बन्धो को जितनी गहराई के साथ निभाया कोई बिरला ही कर सकता है, हम लोग तो अपनी पचास साल के उम्र में दूसरा मुलायम सिंह नही सुने।

----कोई नेता जी को पसन्द करे या ना करे वो अलग बात है लेकिन ऊँचाई पे पहुँच के अपने लोगो को याद रखे ये सभी लोगों को पसन्द करना चाहिए।

जल्दी स्वस्थ हो जाइए नेता जी, आप जैसे लोग, समाज मे सम्बंध निभाने के मानक है, जब जब लोग आपको जानेंगे तब तब अपने किसी नजदीकी को संभाल के रखेगे।💐💐

।। अजित सिंह।।

Tags:    

Similar News